बता दें कि शिकायतकर्ता सोशल मीडिया के जरिए याचिकाकर्ता के संपर्क में आई। जिसके बाद दोनों में दोस्ती हो गई। पुरुष की ओर से किए गए शादी के वादे के आधार पर महिला ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। हालांकि जब महिला गर्भवती हो गई तो पुरुष ने कथित तौर पर उसे गर्भपात की गोलियाँ दीं और उसके साथ सभी तरह की बातचीत बंद कर दी, जिससे महिला को शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पड़ा।
एफआईआर दर्ज होने के बाद दोनों ने की शादी
एफआईआर दर्ज होने के बाद दोनों ने शादी कर ली। व्यक्ति ने दोनों पक्षों के बीच समझौते और विवाह के आधार पर मामले को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
महिला की इस दलील पर मुकदमा रद्द
न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेशों का हवाला दिया। जिसमें बलात्कार के मामलों में एफआईआर को रद्द करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि बाद में दोनों पक्षों के बीच विवाह संपन्न हो गया था। न्यायालय ने महिला की इस दलील पर भी गौर किया कि वह अपने पति और ससुराल वालों के साथ सौहार्दपूर्ण वैवाहिक जीवन जी रही है और वह अभियोजन को आगे नहीं बढ़ाना चाहती। इस संदर्भ में न्यायालय ने कहा कि वह जमीनी हकीकत को नजर अंदाज नहीं कर सकता या वैवाहिक संबंध को बाधित नहीं कर सकता। इसने कहा कि कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देने से विवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।