सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव की बेंच इस मामले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, जीएस संधू, निष्काम दिवाकर और ओंकार मल सैनी की सात आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। संधू की ओर से अधिवक्ता एसएस होरा ने कोर्ट को बताया कि जयपुर स्थित टोडी रामजानीपुरा की 3.43 हेक्टेयर भूमि के एकल पट्टे के लिए जेडीए में आवेदन किया गया।
जमीन तय सीमा से अधिक होने के कारण जेडीए ने वर्ष 2005 में प्रकरण राज्य सरकार को भेजा, जिस पर सरकार ने पट्टा देने से इनकार कर दिया। वहीं वर्ष 2009 में आवेदन आने पर जेडीए ने मामला पुन: राज्य सरकार के पास भेजा।
सरकार ने वर्ष 2011 में पट्टा जारी कर दिया और वर्ष 2013 में एकल पट्टा निरस्त कर दिया गया। पट्टा निरस्त होने के बाद रामशरण सिंह ने वर्ष 2014 में एसीबी को शिकायत की। इस पर संधू की ओर से कहा कि इन परिस्थितियों में कोई अपराध बनता ही नहीं है। पहले राज्य सरकार ने भी एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर मुकदमा वापस लेने का आग्रह किया था, इसलिए केस को रद्द किया जाए।