Jaipur: पटरी पर दौड़ रहीं कमाई की ट्रेनें…रेल की रफ्तार बढ़ी, आम मुसाफिर पीछे छूट गए, जानें कारण
जयपुर जैसे बड़े स्टेशन से लोकल पैसेंजर ट्रेनें अब लगभग गायब हो चुकी हैं। रेलवे जहां तेज, शानदार और महंगी ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का प्रचार कर रहा है, वहीं रोजमर्रा के आम यात्रियों की जरूरतें दरकिनार की जा रही हैं।
जयपुर डिवीजन में मेमु, डेमू ट्रेनें कम, पत्रिका फोटो
Railway News: जयपुर जैसे बड़े स्टेशन से लोकल पैसेंजर ट्रेनें अब लगभग गायब हो चुकी हैं। रेलवे जहां तेज, शानदार और महंगी ट्रेनों की संख्या बढ़ाने का प्रचार कर रहा है, वहीं रोजमर्रा के आम यात्रियों की जरूरतें दरकिनार की जा रही हैं। दिल्ली, अजमेर और कोटा जैसे व्यस्त रूटों पर भी अब मुश्किल से कोई लोकल ट्रेन मिलती है।
छोटे स्टेशनों पर न तो ठहराव है और न ही सस्ती यात्रा का विकल्प, इससे दैनिक यात्रियों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। जयपुर से जोधपुर जैसे बड़े रूट पर तो एक भी डेमू, मेमू या सामान्य लोकल ट्रेन नहीं चल रही। वहीं रेवाड़ी, सीकर, झुंझुनूं जैसे मार्गों पर भी गिनी-चुनी ट्रेनों का ही संचालन हो रहा है।
किराया बढ़ा, ठहराव घटा
रेलवे लोकल ट्रेनों की बजाय मेल और सुपरफास्ट ट्रेनों को प्राथमिकता दे रहा है। इन ट्रेनों का किराया लोकल ट्रेनों की तुलना में दो से तीन गुना तक अधिक है, जबकि ठहराव कम। जयपुर में हजारों लोग प्रतिदिन अजमेर, मकराना, दौसा, फुलेरा, सांभर, कुचामन जैसे इलाकों से काम के लिए आते हैं। उन्हें सुपरफास्ट या एक्सप्रेस ट्रेनों में महंगा सफर करना पड़ रहा है। यात्रियों का कहना है कि रेलवे सिर्फ उन्हीं ट्रेनों पर ध्यान दे रहा है, जो अधिक राजस्व देती हैं।
लोकल ट्रेनें 20 फीसदी से भी कम
उत्तर पश्चिम रेलवे के अनुसार जोन में कुल 690 ट्रेनों में से सिर्फ 256 पैसेंजर ट्रेनें हैं। जयपुर मंडल की बात करें तो 320 से ज्यादा ट्रेनों में से केवल 64 पैसेंजर ट्रेनें ही चल रही हैं, जिनमें कई स्पेशल ट्रेनें भी शामिल हैं। जयपुर से संचालित 200 से अधिक ट्रेनों में से लोकल, डेमू या मेमू ट्रेनें 20 फीसदी से भी कम हैं।