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Jaipur Literature Festival 2025 : पुष्पेश पंत ने सुनाई खानदान से लेकर पानदान की जायकेदार कहानी, कहा- हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी पाक कला है ग्रेट

Jaipur Literature Festival 2025 : जेएलएफ के तीसरे दिन शनिवार को ‘द् इंडियन कुकबुक रेसिपीज फ्रॉम होम’ सेशन में इंटरनेशनल फूड ब्लॉगर व एक्सपर्ट पुष्पेश पंत ने अपने जायकेदार नजरिए से पाकिस्तान और लखनऊ शहर की पाक कला के साथ ही नए दौर के फॉस्ट फूड की भी सैर कराई। साथ ही हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी पाक कला को दुनिया की सबसे बढ़िया फूड रेसिपीज करार दिया।

जयपुरFeb 02, 2025 / 09:42 am

Sanjay Kumar Srivastava

Jaipur Literature Festival 2025 Pushpesh Pant Narrated Khandan and Paandaan Tasty Story said Hindustani-Pakistani Cooking Great

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इंटरनेशनल फूड ब्लॉगर व एक्सपर्ट पुष्पेश पंत

Jaipur Literature Festival 2025 : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का कल तीसरा दिन था। इंटरनेशनल फूड ब्लॉगर व एक्सपर्ट पुष्पेश पंत ने कहा हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी पाक कला को दुनिया की सबसे बढ़िया फूड रेसिपीज करार दिया। जिसके बाद वह पर बैठे श्रोताओं और दर्शकों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। जेएलएफ के तीसरे दिन शनिवार को ‘द् इंडियन कुकबुक रेसिपीज फ्रॉम होम’ सेशन में उन्होंने अपने जायकेदार नजरिए से पाकिस्तान और लखनऊ शहर की पाक कला के साथ ही नए दौर के फॉस्ट फूड की भी सैर कराई। खानदान से लेकर पानदान तक की कहानी में उन्होंने खाना खाने, बनाने और गाने को लेकर रोचक जानकारी साझा की।

फिर तो लाजवाब खाना बनना तय

पुष्पेश पंत का कहना था कि वैसे तो ‘दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है, लेकिन फिर भी खाना बनाना और खाना यह दोनों चीजें एक-दूसरे की पूरक है, क्योंकि अगर मूड अच्छा है तो लाजवाब खाना बनना तय है और अगर मूड खराब है तो फिर खिचड़ी से ही काम चलाना पड़ सकता है।

पाक कला भी मूड पर निर्भर है

पुष्पेश पंत ने सितार वादक उस्ताद विलायत खान का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह एक राग कलाकार के मूड पर डिपेंड करता है, ठीक उसी तरह पाक कला भी इसके माहिर के मूड पर निर्भर करती है।
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अब्बा का पीक दान किया करते थे साफ

पुष्पेश पंत ने आगे कहा कि खाने में तहजीब का भी बड़ा रोल है। हमारे जमाने में कहा जाता था कि अगर किसी के खानदान के बारे में मालूम करना है तो उसके पानदान से एक पान का टुकड़ा खा लो। खाने के बाद पान खाने की परंपरा पर उनका कहना था कि पाकिस्तान और लखनऊ में खाने के बाद पान खाने की परंपरा आज भी है और यह खाने की तहजीब में आती है। उन्होंने अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए गीत ‘खाइके पान बनारस वाला…,’ और अदाकारा वहीदा रहमान पर के चर्चित गीत ‘पान खाए सैयां हमारे…,’ का भी अनोखे अंदाज में जिक्र किया। साथ ही बताया कि किस प्रकार हम अपने अब्बा का पीक दान साफ किया करते थे।
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बुक के कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए

जबकि सुनीता कोहली और रश्मि उदय सिंह ने फॉस्ट फूड के जमाने में मैंगी पर बात की। इस बीच सुनीता कोहली ने अपनी बुक के कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए। उन्होंने कहा कि हमें पाकिस्तान की मेहमानवाजी को करीब से देखने का मौका मिला है। सेशन में रोमी गिल, सुनीता कोहली और रश्मि उदय सिंह के साथ ही पुष्पेश पंत की बातों को साहित्यप्रेमियों ने खूब सराहा।

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