पीड़िता के परिजनों ने अदालत में याचिका दायर कर बताया कि बच्ची बलात्कार के कारण गर्भवती हुई है और उसकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए गर्भ को जारी रखना खतरनाक हो सकता है। अदालत ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार किया, जिसमें भ्रूण में गंभीर विसंगतियों का उल्लेख किया गया था। बोर्ड ने यह भी कहा कि गर्भावस्था जारी रखने से पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
न्यायमूर्ति सुदेश बंसल ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता की गरिमा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भ्रूण जीवित रहता है, तो उसकी उचित देखभाल की जानी चाहिए। अदालत ने सरकार को पीड़िता के पुनर्वास और चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।