अब एनीकट और अतिक्रमणों ने सब कुछ खत्म कर दिया
1981 के बाद बांध कई वर्षों तक भरता रहा, लेकिन धीरे-धीरे बहाव क्षेत्र में बने एनीकट और अतिक्रमणों ने इसकी प्राकृतिक जल आवक को रोक दिया। 2005 में आखिरी बार बांध में अच्छी मात्रा में पानी आया था।बांध का भरना, एशियाड जैसे आयोजन का होना और फिर उसका धीरे-धीरे सूख जाना…यह सब जिमेदारों की आंखों के सामने होता रहा, लेकिन इसे बचाया नहीं जा सका।
जयपुरवासी पीते थे रामगढ़ बांध का पानी
रामगढ़ बांध से जयपुर शहर को जल आपूर्ति होती थी। यहां से पानी लक्ष्मण डूंगरी पहुंचता था, और फिर सांगानेरी गेट स्थित काली जी का मंदिर, जवाहर नगर और मेहंदी का चौक पंप हाउस के जरिए लोगों तक बांध का पानी पहुंचता था।
1981 में बांध पर चली 11 फीट की चादर, गांवों में भर गया था पानी
जमवारामगढ़ के सिंहरों का बास निवासी 71 वर्षीय केएल मीणा बताते हैं कि रामगढ़ बांध का ओवरलो होना अद्भुत अनुभव था। उन्होंने 1976 और 1977 में बांध में चादर चलते देखा, लेकिन 1981 में सारे रिकॉर्ड टूट गए। उस साल बांध में 11 फीट तक चादर चली। गांव में 5 फीट तक पानी भर गया और नक्ची घाटी से जयपुर का रास्ता दो महीने तक बंद रहा। उस समय पर्यटन शिखर पर था और बांध के पास टूरिस्ट विलेज भी बनाया गया था। 20-30 किलोमीटर क्षेत्र में पूरे साल हरियाली रहती थी। 1960 के नक्शे के अनुसार यदि आसपास के नालों को साफ करा दिया जाए, तो यह बांध एक ही मानसून में भर सकता है।
उस दौर को याद कर हुए रोमांचित, अब के हालात पर भावुक
जयपुर निवासी 90 वर्षीय सेवानिवृत्त आईएएस प्रागेश्वर तिवारी उस दौर को याद करते हुए रोमांचित हो उठते हैं और आज की स्थिति पर भावुक हो जाते हैं। वे बताते हैं, ’1980 के दशक में हम हर साल पिताजी का जन्मदिन रामगढ़ बांध पर मनाते थे। यह सिलसिला करीब 10-12 साल तक चला। राजा भी यहां शिकार करने आते थे।’ वह याद करते हैं कि 1981 में जब बांध ओवरलो हो गया, तो पानी की लगातार आवक से डर लगने लगा था कि कहीं बांध टूट न जाए और अलवर-भरतपुर तक पानी न फैल जाए। हालांकि कुछ दिन बाद जब पानी की आवक कम हुई, तो प्रशासन और लोगों ने राहत की सांस ली।इनकी जुबानी…..

नीरज, तहसील प्रवक्ता, ईआरसीपी संयुक्त मोर्चा, जमवारामगढ़

तुलसीदास चिंतामणि, सदस्य, रामगढ़ बांध बचाओ संघर्ष समिति, जमवारामगढ़

बादाम देवी शर्मा, सरपंच, ग्राम पंचायत राहौरी

राजेंद्र कुमार शर्मा, निवासी आंधी
