कोटपूतली। बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय चेतना को रेस्क्यू टीम ने 10 दिनों की मशक्कत के बाद आखिरकार बुधवार (1 जनवरी) को बाहर निकाल लिया गया। आनन फानन में चिकित्सकों की देखरेख में मासूम को जिला अस्पताल रवाना किया है। रेस्क्यू में अधिक समय लगने के कारण चेतना को बचाया नहीं जा सका। बालिका की मां को इस बात की आशंका थी कि शायद उनकी लाडली जीवित नहीं रही। वह 10 दिनों से बोरवेल में भूखे-प्यासे फंसी रही। मां और पिता का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजन लगातार उनका ढाढस बंधा रहे हैं।
ग्रामीणों की आंखें भी नम है। पूरा गांव इंतजार करता रहा कि चेतना को अब निकाल लिया जाएगा। लेकिन इंतजार लंबा होता गया। 10 वें दिन बालिका को रेस्क्यू किया जा सका लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम को कई कारणों से रेस्क्यू में बाधा आई। जिसके कारण रेस्क्यू में देरी हुई।
एक समय ऐसा लगने लगा कि टीम सोमवार यानी 30 दिसंबर को चेतना को बाहर निकालने में सफल होगी लेकिन सुरंग की खुदाई के दौरान एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम दिशा भटक गई। इससे बालिका को सोमवार को भी नहीं निकाला जा सका।
प्रदेश का सबसे बड़ा रेस्क्यू अभियान
आठ दिन से अधिक समय से चल रहा रेस्क्यू प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा अभियान है। टीम का कहना है कि प्रदेश में हुए बोरवेल हादसों में यह सबसे गहरा बोरवेल था। अब तक जो भी अभियान थे, उनमें बोरवेल 50 से 75 फीट गहरे थे। लेकिन यह रेस्क्यू 170 फीट तक की गहराई में हुआ है।
इस प्रकार हो पाया चेतना का रेस्क्यू
दरअसल, चेतना बोरवेल ने गिरने के बाद 170 फीट में गहराई में फंसी थी। बालिका को बाहर निकालने के लिए इसके सामानन्तर 170 फुट तक 36 इंच (एक हजार मिली मीटर) व्यास के दूसरे बोरवेल की खुदाई की गई। टनल का पत्थर हार्ड होने से एनडीआरएफ व रैट माइनर को इसकी खुदाई करने में भारी परेशानी हुई। नीचे उतरकर चट्टाननुमा पत्थर को तोड़कर हॉरिजेन्टल सुरंग बनाने में कई चुनौतियों को सामान करना पड़ा।
पहले प्लान के तहत हुकनुमा जुगाड़ तंत्र के सहारे बालिका को 15 फीट तक ऊपर लाया गया था। लेकिन मिट्टी ढहने से बालिका हुक से निकल गई और फिर से 150 फुट पर जाकर अटक गई थी। दूसरे प्लान के तहत बोरवेल के सामानन्तर 170 फुट दूसरे बोरवेल की खुदाई की गई। जिसके कारण रेस्क्यू में देरी हुई। हालांकि, 10 दिनों की मशक्कत के बाद चेतना को बाहर निकाला जा सका।
खेलते समय बोरवेल में जा गिरी चेतना
उल्लेखनीय है कि कोटपूतली के किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी की चेतना 23 दिसम्बर को 150 फीट नीचे बोरवेल में गिर गई थी। प्रशासन को सूचना मिलने के बाद उसी दिन रात 9 बजे मौके पर एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीमें पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अगले दिन J शेप में हुक डालकर बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की गई, बच्ची हुक में फंसी, 15 फिट ऊपर भी चेतना को खींचा गया लेकिन वह 150 फीट पर आकर अटक गई। इसके बाद दूसरे प्लान के तहत सामानन्तर खुदाई कर सुरंग बनाकर चेतना को बाहर निकाला जा सका।