यह है मामला
काेटपूतली-बहरोड़ जिले की एक 13 वर्षीय बालिका दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई थी। मामले में परिजनों ने आरोपी के विरुद्ध पुलिस थाने में पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। करीब 12 सप्ताह के गर्भकाल के बावजूद पीडि़ता को स्थानीय राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल में दो बार लौटाया गया, क्योंकि चिकित्सक गर्भपात को लेकर कानूनी बातों में उलाझे रहे। जबकि पुलिस के माध्यम से डीएलएसए ने इससे जुड़े आदेश की प्रति भी उपलब्ध करा दी गई थी।
पीडि़ता और परिजन से किया संवाद
पीडि़ता व परिजन की सहमति के बाद गर्भपात का मामला जब राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के संज्ञान में लाया गया। प्राधिकरण के सचिव व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन जीनवाल ने पीडि़ता और परिजन से संवाद किया। उन्होंने गर्भपात के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करवाई।
चिकित्सकों को फटकारा, तब जाकर कार्रवाई
गर्भपात में अनावश्यक देरी के चलते एडीजे जीनवाल जब जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने मौजूद चिकित्सकों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने डॉक्टरों को चिकित्सा अधिनियम व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए तुरंत गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। उनके हस्तक्षेप के बाद ही बालिका का गर्भपात हो सका। जीनवाल ने यह भी बताया कि पीडि़ता को शीघ्र ही पीडि़त प्रतिकर योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।