प्रेसवार्ता में ये बताया
एसीबी के डीजी मेहरड़ा ने 4 मई को प्रेसवार्ता में बताया कि रिश्वत मांगने के मामले में विधायक ने पहले फोन किया। तब पीड़ित को पता चला कि क्या मसला है। फिर पीड़ित ने एप्रोच किया और पूछा कि क्या करना है। पीड़ित एसीबी के संपर्क में आया, तब हमने बताया कि क्या करना है।रिपोर्ट में ये लिखा
एसीबी ने विधायक की गिरफ्तारी की रिपोर्ट 6 मई रात 11.54 बजे दर्ज की। इसमें पीड़ित ने बताया कि खनिज विभाग के अधिकारियों ने विधानसभा में विधायक की ओर से प्रश्न लगाने के संबंध में बताया। अधिकारियों ने कहा कि विधायक को आपसे क्या परेशानी है, पता करो। पीड़ित के भाई ने विधायक से 3 व 4 फरवरी को फोन पर बात की, तब विधायक ने 5 फरवरी की रात 9.15 बजे एमएलए क्वार्टर ज्योति नगर मिलने बुलाया। विधायक से मिले तो उन्होंने प्रश्न नहीं लगाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में खनिज विभाग के अधिकारियों से पता चला कि विधायक ने फिर प्रश्न लगाया है। तब विधायक से फोन पर संपर्क किया। विधायक बोले, आप मुझ से आकर क्यों नहीं मिले। आकर मिलो। 22 मार्च को विधायक से मिला तो उन्होंने प्रश्न हटाने के बदले 2.5 करोड़ मांगे। हालांकि बाद में सौदा 2 करोड़ में तय किया।विधायक घूसकांड में बड़ा खुलासा, PA रोहित ने बदल दिया था 20 लाख रुपए से भरा बैग
हमारे पास सबूत हैं
किसने पहले संपर्क किया। यह कोई बड़ा मामला नहीं है। चार्जशीट पेश करने के लिए हमारे पास रिकॉर्डिंग है, सबूत हैं।-डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा, डीजी, एसीबी
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संदेह का मिलता है लाभ
डीजी का प्रेसवार्ता में कहना कि विधायक ने रिश्वत के लिए पहले संपर्क किया, इसका वीडियो है और एफआइआर में पीड़ित की ओर से विधायक से संपर्क किया जाना बताया गया है। ऐसे में विरोधाभास होने पर आरोपी पक्ष इसका लाभ ले सकता है और बरी तक हो सकता है। संदेह का लाभ हमेशा आरोपी को मिलता है।-दीपक चौहान, अधिवक्ता, हाईकोर्ट