पाकिस्तान की हरकतों के बाद भारत सख्त
दरअसल, हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक से दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया। भारत के सर्जिकल हमलों से बौखलाए पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमलों की नाकाम कोशिशें कीं। इन घटनाओं के मद्देनजर भारत ने देश के चार सीमावर्ती राज्यों- राजस्थान, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ड्रिल कराने का निर्णय लिया है।
राजस्थान में व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल
राजस्थान में इस मॉक ड्रिल को लेकर सिविल डिफेंस विभाग ने तैयारियां तेज कर दी हैं। राज्य के सभी जिलों को आवश्यक निर्देश भेज दिए गए हैं, खासतौर पर पाकिस्तान बॉर्डर से सटे जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। जोधपुर कलेक्टर गौरव अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को जोधपुर में मॉक ड्रिल होगी, हालांकि समय का निर्धारण बैठक के बाद किया जाएगा। वहीं, बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी ने कहा कि हमें निर्देश मिले हैं और ड्रिल की समय-सारणी तय करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की जा रही है।
क्या होती है मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट?
मॉक ड्रिल एक सिमुलेटेड अभ्यास होता है जिसमें यह देखा जाता है कि किसी आपातकालीन स्थिति (जैसे एयर स्ट्राइक या बम हमला) में नागरिक और प्रशासन कितनी जल्दी और प्रभावी प्रतिक्रिया देते हैं। इसमें सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाता है, उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का अभ्यास होता है। ब्लैकआउट एक्सरसाइज में तय समय के लिए पूरे इलाके की बिजली बंद कर दी जाती है, ताकि दुश्मन के हमले के दौरान शहर को अंधेरे में छिपाया जा सके और हमले से बचा जा सके। इससे यह भी परखा जाता है कि बिना बिजली के नागरिक कैसे संवाद और सुरक्षा बनाए रखते हैं।
7 मई को हुई थी पहली मॉक ड्रिल
बताते चलें कि इससे पहले 7 मई 2025 को भी राजस्थान के 28 शहरों में एयर स्ट्राइक से बचाव के लिए मॉक ड्रिल और रात को ब्लैकआउट एक्सरसाइज की गई थी। जयपुर, अजमेर, कोटा, अलवर, सीकर जैसे शहरों में 15 मिनट तक ब्लैकआउट किया गया था और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का अभ्यास कराया गया था।
केंद्र सरकार की सख्त निगरानी
पहलगाम हमले के बाद से ही केंद्र सरकार देशभर में सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रही है। मॉक ड्रिल के जरिए सरकार न केवल सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों को परखना चाहती है, बल्कि आम जनता को भी संभावित आपदा की स्थिति में सतर्क और जागरूक बनाना चाहती है।