वेंकी रामकृष्णन ने कहा कि विज्ञान और साहित्य के बीच संवाद बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा विज्ञान और तकनीक हमारी पूरी जिंदगी को बदल सकते हैं, लेकिन इनका सही इस्तेमाल करने के लिए हमें साहित्य, दर्शन और इतिहास की भी जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जलवायु विज्ञान और जेनेटिक इंजीनियरिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का असर व्यापक है, लेकिन इनके सामाजिक और नैतिक पहलुओं को समझना जरूरी है।
फेस्टिवल की को-फाउंडर नमिता गोखले ने इसे विचारों का संगम बताते हुए कहा यह वह समय है जब जयपुर दुनिया से और दुनिया जयपुर से मिलती है। यह साहित्य, संस्कृति और चिंतन का उत्सव है, जिसे वसंत पंचमी और महाकुंभ के खास मौके पर शुरू करना और भी खास बनाता है।
फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल ने शुरुआत के सफर को याद करते हुए कहा, 18 साल पहले जब हमने इसे शुरू किया, तो हमें लगा था कि शायद ही कोई इसमें आएगा। लेकिन इसके बाद लोगों की इतनी भागीदारी रही कि दुनियाभर में 300 से ज्यादा ऐसे लिटरेचर फेस्टिवल शुरू हो गए।
पांच दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में 600 से अधिक लेखक, विचारक और विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसमें नोबेल पुरस्कार और बुकर पुरस्कार विजेता लेखक भी शिरकत करेंगे। इस साल की थीम ‘उत्सव’ रखी गई है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और उत्सवी माहौल को दर्शाती है। फेस्टिवल में 17 भाषाओं के सत्र पांच अलग-अलग स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे।
2025 के जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ‘टूटी हुई दुनिया’ थीम के तहत भू-राजनीति, युद्ध, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इसके अलावा, थिएटर, संगीत, कविता, सिनेमा, खेल और खान-पान से जुड़े सत्र भी होंगे। इस दौरान हिंदी कवि बद्री नारायण को ‘कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा।