दरअसल
राणा सांगा का असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था। उनके पिता का नाम राजा रायमल था। वे
महाराणा प्रताप के दादा थे। इतिहासकारों के अनुसार उन्होनें अपने जीवन काल में करीब सौ युद्ध लड़े और आखिरी वाले युद्ध को छोड़कर उन्होनें सभी युद्ध जीते थे। उनका जन्म राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था।
इतिहासकारों की मानें तो उनको आखिरी युद्ध के बाद जहर देकर मारा गया था। जिस समय उनकी मौत हुई थी उस सयम उनकी उम्र करीब 45 से 46 साल के आसपास ही थी।
बताया जाता है कि मुगल शासक बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में उनकी वीरता का जिक्र किया था। महाराणा सांगा की मौत के बाद भी मुगल और राजपूत राजाओं में संघर्ष जारी रहा जिसे आगे उनके पोते महाराणा प्रताप ने बढ़ाया।
राणा सांगा देश के इतिहास के ऐसे भारतीय योद्धा थे जिनका एक हाथ, एक पैर, एक आंख, कान कटने के बाद भी वे लगातार युद्धों में शामिल होते रहे। यही कारण है कि उनकी प्रतिमा भी इसी तरह की बनाई गई है। उनके शरीर पर 80 गहरे घाव थे।
बात वर्तमान की करें तो राणा सांगा, महाराणा प्रताप के वंशज अब भी हैं। वे
उदयपुर पूर्व राजघराने के सदस्य हैं। हाल ही में उनके वंशज में से एक राजघराने के पूर्व सदस्य
अरविंद सिंह मेवाड़ का देहांत हुआ है।
उनके भाई महेन्द्र सिंह भी कुछ दिनों पूर्व शांत हो गए थे। वर्तमान में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और विश्वराज सिंह मेवाड़ वंश को संभाल रहे हैं। लक्ष्यराज सिंह होटल्स की चेन संभाल रहे हैं और विश्वराज सिंह भाजपा से विधायक हैं। उनकी पत्नी महिमा सिंह भी भाजपा से सांसद हैं।