सुनील सिंह सिसोदियाRajasthan Politics: शहरी और ग्रामीण सरकार संग छात्रसंघ चुनावों को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। विपक्ष इन तीनों चुनाव को लेकर जुबानी हमले बोल रहा है तो सत्ता पक्ष भी पलटवार कर रहा है। उधर, छात्र नेता छात्रसंघ चुनाव को लेकर सड़कों पर उतर चुके हैं। लोकतंत्र की मजबूती में इन तीनों की भूमिका है।
राज्य सरकार प्रदेश में पंचायत और निकायों के चुनाव एक साथ कराने का एलान कर चुकी है। इससे चुनावी प्रक्रिया अटक गई है। चुनाव से पहले पंचायत और निकाय पुनर्गठन का काम धीमा चल रहा है। देरी पर मुख्यमंत्री स्तर पर भी मंथन चल रहा है। इस बीच जिन निकाय-पंचायतों के कार्यकाल खत्म हो चुके हैं, वहां प्रशासक लगाए जा चुके हैं। इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं के जुबानी हमले तेज हैं तो मामला हाइकोर्ट में भी पहुंच गया है।
पंचायत चुनाव
पंचायतराज संस्थाओं के पुनर्गठन व नवसृजन प्रस्तावों का प्रकाशन 4 जून को होना था, लेकिन जिला कलक्टरों की ओर से भेजे गए प्रस्तावों को लेकर कई जगहों से एतराज आए। जनप्रतिनिधियों ने जयपुर पहुंचकर प्रस्तावों पर आपत्तियां दर्ज कराई।
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
हाईकोर्ट ने दायर याचिकाओं की सुनवाई में सरकार को निर्देश दिए थे कि पुनर्गठन प्रस्तावों की अन्तिम रिपोर्ट लागू करने से पहले न्यायालय के समक्ष रखी जाए। हाइकोर्ट ने 7 जुलाई की तारीख दी थी, लेकिन प्रस्तावों को अन्तिम रूप नहीं दिया जा सका। सरकार ने हाईकोर्ट से और समय मांगा। हाईकोर्ट ने 22 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
बैठकों का दौर
पंचायतों के प्रस्तावों को लेकर विधायकों के एतराज आए। मामला उच्च स्तरीय समिति के साथ सीएम की निगरानी में चला गया। उच्च स्तरीय समिति की मुख्यमंत्री के साथ बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ।
वार्ड पुनर्गठन, सीमांकन अधूरा
नगरीय निकायों के वार्ड पुनर्गठन और परिसीमन का काम 15 मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन 100 निकायों के कई वार्डों में सीमांकन अटका हुआ है। सरकार अब जुलाई अंत तक सीमांकन प्रक्रिया पूरी कर अधिसूचना जारी करने की योजना बनाने और अगस्त से मतदाता सूची का काम शुरू करने का दावा कर रही है।
यहां फंसा पेच
नवंबर 2023 में निर्धारित जनसंख्या के आधार पर वार्डों की संख्या तय की थी, लेकिन भौगोलिक परिस्थितियां जैसे पहाड़, नदी, सड़क आदि के कारण वार्डों में जनसंख्या असंतुलन सामने आया। वार्डों में आबादी तय मानकों से 15 से 26 प्रतिशत तक मिली। इससे सीमांकन में जटिलता आ गई।
111 निकाय में प्रशासक नियुक्त
सरकार ने प्रदेश के 111 नगरीय निकायों (नगर निगम, परिषद, पालिका) में बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव कराने की बजाय प्रशासक नियुक्त किए हैं। प्रदेश में 140 नगरीय निकाय ऐसे हैं जिनका कार्यकाल दिसम्बर और जनवरी में खत्म होगा।
बोर्ड भंग किए बिना चुनाव की तैयारी
सभी निकायों में चुनाव एक साथ इसी वर्ष नवम्बर-दिसम्बर में कराने की तैयारी है। इसमें बड़ी बाधा 91 निकाय हैं जिनका कार्यकाल जनवरी व फरवरी 2026 में पूरा होगा। इन निकायों का बोर्ड भंग करना आसान नहीं है। विचार चल रहा है कि बोर्ड भंग किए बिना चुनाव करा लिए जाएं और कार्यकाल पूरा होने के बाद नए बोर्ड का गठन करें।
प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों पर कांग्रेस-भाजपा दोनों ही सरकारों में रोक लगती रही है। अभी चुनाव पर 2023 से रोक लगी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी। इसके बाद सत्ता में भाजपा आ गई और चुनाव पर रोक अब तक जारी है।
2003 से 9 बार लग चुकी रोक
वर्ष 2003 के बाद अभी तक 9 बार छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग चुकी। 2004 में छात्रसंघ चुनाव के बाद सबसे अधिक पांच साल तक रोक रही। इसके बाद 2010 में छात्रसंघ चुनाव शुरू हुए। 2018 तक लगातार चुनाव हुए, लेकिन इसके बाद दो साल फिर चुनाव बंद रहे। 2022 में कांग्रेस सरकार ने फिर छात्रसंघ चुनाव कराए।
Hindi News / Jaipur / राजस्थान में कब होंगे निकाय-पंचायत और छात्रसंघ चुनाव? CM स्तर पर चल रहा मंथन; यहां फंसा पेच