राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले से आने वाले पंकज कुमावत और अमित कुमावत ने 2019 में एक साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर अपने पिता का सपना पूरा किया। उनके पिता एक दर्जी थे, जो कपड़े सिलकर अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते थे। पंकज को 423वीं और अमित को 424वीं रैंक मिली। बिना किसी कोचिंग के दोनों भाइयों ने घर पर रहकर सेल्फ स्टडी की और कड़ी मेहनत के दम पर आईएएस और आईपीएस बने। इससे पहले 2018 में भी उन्होंने परीक्षा दी थी और तब भी रैंक लाकर दिखाई थी। लेकिन 2019 में उन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदल दिया।
दूसरी प्रेरणादायक कहानी है दौसा जिले की दो बहनों अंजली मीणा और अनामिका मीणा की। इनके पिता रमेश चंद्र मीणा खुद एक आईएएस अधिकारी हैं और तमिलनाडु कैडर में तैनात हैं। साल 2019 में दोनों बहनों ने एक साथ यूपीएससी परीक्षा पास की। अनामिका को 116वीं रैंक और अंजली को 494वीं रैंक मिली। दोनों ने अपने पिता की राह पर चलते हुए यूपीएससी की तैयारी की और एक ही साल में सफलता हासिल की। इनकी सफलता इस बात का सबूत है कि सही दिशा, मेहनत और परिवार का साथ हो तो कोई भी मुकाम दूर नहीं।
तीसरी कहानी हनुमानगढ़ में रहने वाली पांच बहनों की है। छोटे से गांव में रहने वाली पांच बहनों ने एक के बाद एक सफलता हासिल की और अफसर बनती चली गई। पांचों बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा में भाग्य अजमाया। मेहनत इतनी की कि सफलता खुद आती चली गई। सबसे बड़ी बात ये है कि पिता किसान हैं और सिर्फ आठ क्लास तक पढ़ें हुए हैं, लेकिन बेटियों को अफसर बनाने में पिता ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पांचों बहनें भैरूसरी गांव की रहने वाली हैं और उनके पिता सहदेव शरण किसान हैं। बेटियों में रोमा, मंजू, अंशु, रितु और सुमन शामिल हैं। सबसे पहले सबसे बड़ी बहन अधिकारी बनीं और बाद में वे सभी को गाइड करती चली गई।
अब बात करते हैं आईएएस अधिकारियों में बहनों की सबसे चर्चित जोड़ी की। हांलाकि परिवार की जड़ें राजस्थान से जुड़ी नहीं हैं लेकिन दोनों बहनों को राजस्थान कैडर मिला हैं। पहले बड़ी बहन ने साल 2016 में यूपीएससी टॉप किया और फिर छोटी बहन रिया को भी अपने नक्शे कदम पर चलाया। उन्होंने भी झंडे गाड़े और आज दोनों राजस्थान में आईएएस अधिकारी हैं।