यह जानकारी चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार ने गुरुवार को राष्ट्रीय डेंटल काउंसिल के सदस्यों के साथ हुई बैठक में दी। बैठक में दंत महाविद्यालयों में अवैध प्रवेश के मामलों पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दिए गए, ताकि प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
साथ ही दंत चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव की योजना बनाई गई है। इसके लिए एक समिति गठित की जाएगी, जो देश के प्रमुख दंत चिकित्सा संस्थानों का दौरा कर वहां अपनाए जा रहे श्रेष्ठ शैक्षणिक व प्रशासनिक मॉडल को समझेगी और राजस्थान में लागू करने के सुझाव देगी।
निरंतर शिक्षा कार्यक्रम और नए पद सृजन पर चर्चा
बैठक में दंत चिकित्सकों के लिए निरंतर शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का भी निर्णय लिया गया। इसके लिए एक अलग समिति बनाई जाएगी, जो इसे लागू करने की रूपरेखा तैयार करेगी। साथ ही सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ट्रॉमा सेंटरों, जिला और उप-जिला अस्पतालों में दंत चिकित्सकों के पद सृजित करने पर भी विचार किया गया।
आईएचएमएस प्रणाली होगी लागू
बैठक में दंत महाविद्यालयों में आने वाले मरीजों का केंद्रीकृत रिकॉर्ड तैयार करने और उनकी निगरानी के लिए एकीकृत स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली (आईएचएमएस) जैसी आधुनिक सॉटवेयर प्रणाली लागू करने पर चर्चा की गई। इसके साथ ही आरयूएचएस और मारवाड़ यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव भी रखा गया।