विलायती बबूल हटते ही दिखा मूल स्वरूप
रामगढ़ बांध में फैले विलायती बबूल को जेसीबी की सहायता से हटाया जा रहा है। इसके चलते अब धीरे-धीरे बांध का मूल स्वरूप भी दिखाई देने लगा है। विलायती बबूल न केवल बांध की सुंदरता को खराब कर रहा था, बल्कि जल संरक्षण में भी बाधा बन रहा था। यह पेड़ पानी सोखने और अन्य वनस्पतियों के विकास में अवरोधक माना जाता है।
जल ही जीवन: यादों से लेकर भविष्य तक
रामगढ़ बांध कभी परिवार-मेहमानों के लिए घूमने का पसंदीदा स्थान हुआ करता था। बांध में पानी लौटेगा तो न सिर्फ गांवों की प्यास बुझेगी, बल्कि रोजगार-पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।सुभाष तिवाड़ी, शिक्षक, जमवारामगढ़ निवासी

क्षेत्र में विलायती बबूल ने छीनी हरियाली
बांध की डाउनस्ट्रीम में बसे गांव जारूंडा निवासी शिक्षिका अंजली शर्मा ने भावुक होकर बताया, जब मैं छोटी थी, तब रामगढ़ बांध लबालब भरा रहता था। आसपास के खेतों में गन्ने की खेती होती थी। पूरा इलाका हरा-भरा था, अब बांध सूख गया है, घाटी वीरान हो चुकी है और विलायती बबूल का जंगल उग आया है।