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‘क्या यह नोटबंदी के बाद वोटबंदी है…’, वोटर लिस्ट रिवीजन पर भड़के सांसद पप्पू यादव, बिहार बंद का किया ऐलान

Bihar Election: सांसद पप्पू यादव ने कहा कि आप हमारे अधिकारों को छीनने और नस्ल को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक हमला है – एक युद्ध. वह कार्यालय (चुनाव आयोग का कार्यालय) आरएसएस का युवा मोर्चा बन गया।

पटनाJul 04, 2025 / 03:46 pm

Ashib Khan

पप्पू यादव ने बिहार बंद का किया ऐलान (Photo-IANS)

Bihar Election: बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है। विधानसभा चुनाव से पहले वोटर पुनरीक्षण के फैसले पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। इसको लेकर निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने 9 जुलाई को बिहार बंद और चुनाव आयोग के कार्यालय का घेराव करने का ऐलान किया है। चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए सांसद पप्पू यादव ने कहा कि ‘बिहार और बिहारी गरीबों और प्रवासी मजदूरों से भारतीय होने का सबूत मांगा जा रहा है। दलित आदिवासियों से पूछा जा रहा है कि हम भारतीय हैं या नहीं। क्या हम नेपाल और बांग्लादेश से हैं? 

‘क्या यह नोटबंदी के बाद वोटबंदी है’

उन्होंने आगे कहा कि आपने 6 महीने पहले पूरी सूची जारी कर दी। आप आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता सूची स्वीकार नहीं करेंगे।  क्या यह ‘नोटबंदी’ के बाद ‘वोटबंदी’ है? 

‘EC का कार्यालय RSS का युवा मोर्चा बन गया’

सांसद पप्पू यादव ने कहा कि आप हमारे अधिकारों को छीनने और नस्ल को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक हमला है – एक युद्ध. वह कार्यालय (चुनाव आयोग का कार्यालय) आरएसएस का युवा मोर्चा बन गया। हम 9 जुलाई को आमने-सामने की लड़ाई लड़ेंगे। कांग्रेस प्रभारी ने आदेश दिया कि 9 जुलाई को पूरा बिहार बंद रहेगा।

हम हाई कोर्ट जा रहे हैं-पप्पू यादव

सांसद पप्पू यादव ने कहा कि हम आज हाई कोर्ट जा रहे है और मामला दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार हमारे लोकतांत्रिक अधिकार छीन रही है। हम इस लड़ाई में कांग्रेस के साथ है। वोट देना हर आदमी का मौलिक अधिकार है। 

क्या है पूरा मामला

बता दें कि 24 जून को बिहार में चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया था जो कि 25 जून से 25 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस प्रक्रिया के तहत प्रदेश के मतदाताओं को अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा कराने होंगे। चुनाव आयोग के इस फैसले पर विपक्ष ने आपत्ति जताई है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया अलोकतांत्रिक है और इसका उद्देश्य दलित, पिछड़े, गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों को लिस्ट से हटाना है। 

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