कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साक्ष्य के दौरान पीड़िता पक्षद्रोही घोषित हुई है और उसने अपने साथ होने वाली घटना से इनकार किया है। घटना के समय रिकॉर्ड अश्लील वीडियो और एफएसएल की ओर से उनका प्रमाणित होना घटना को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। ऐसे में ये स्वतंत्र साक्ष्य के रूप में अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने अश्लील वीडियो विजय को भेजे थे। घटना की जानकारी पीड़ित पक्ष को देने के लिए ही विजय ने इन वीडियो को पीड़िता के रिश्तेदार को फॉरवर्ड किए थे। वहीं उसकी ओर से वीडियो अभियुक्त से मंगाने और उसे वायरल करना साबित नहीं हुआ है।
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजेश श्योराण ने अदालत को बताया कि पीड़िता के पिता ने 21 नवंबर, 2022 को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसमें कहा गया कि उसकी बेटी की उम्र 16 साल है। करीब चार माह पहले वह घर पर अकेली थी। इस दौरान अभियुक्त सौरभ वहां आया और उसके साथ संबंध बनाने के लिए दबाव डाला। पीडिता ने इससे इनकार किया तो अभियुक्त ने आत्महत्या करने की बात कही। फिर अभियुक्त ने जबरन पीड़िता के साथ संबंध बनाए।
इस दौरान अभियुक्त ने पीड़िता के अश्लील वीडियो भी बना लिए। इसके बाद अभियुक्त आए दिन वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पीड़िता से संबंध बनाने लगा। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र पेश किया। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने पूर्व में दिए अपने बयानों से मुकरते हुए कहा कि अभियुक्त ने उसके साथ संबंध नहीं बनाए हैं। इस पर अदालत ने पीड़िता को पक्षद्रोही घोषित करते हुए एफएसएल रिपोर्ट व अन्य साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त को सजा सुनाई है।