महात्मा गांधी स्कूलों में अधिशेष हुए शिक्षकों को भी काउंसलिंग से ही समायोजित किया जाता रहा है। इनके संबंध में निदेशालय के बकायदा लिखित आदेश भी हैं। ऐसे में समायोजन में काउंसलिंग के विवाद ने नया रूप ले लिया है।
2 साल पहले 2400 शिक्षकों का समायोजन
शिक्षा विभाग में समायोजन की प्रक्रिया दो साल पहले जनवरी 2022 में भी हुई। इस दौरान स्टाफिंग पैटर्न से अधिशेष हुए प्रदेश के करीब 2400 शिक्षकों को काउंसलिंग से अन्य स्कूलों में समायोजित किया गया था। 2016 व 2018 में हजारों अधिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग से ही नियुक्ति दी गई थी। 2019 में महात्मा गांधी स्कूल खुलने के साथ उनमें अधिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग से ही दूसरे स्कूलों में नियुक्ति दी गई है। अचानक शिक्षामंत्री का जवाब लोगों को अचरज में डाल रहा है।
भाजपा सरकार ने ही की थी शुरुआत
शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता व निष्पक्षता के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया भाजपा सरकार के ही पिछले कार्यकाल में 2015 में शुरू हुई थी। जिसके बाद से नई भर्ती में चयनित व अधिशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया लगातार अपनाई जा रही थी। जिसके चलते ही सरकार चहेतों को लाभ देने के लिए काउंसलिंग नहीं करवाने के आरोपों से घिर गई है। कई जिलों में शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन के साथ मामले में सैंकड़ों परिवेदनाएं और कोर्ट केस भी सामने आ चुके हैं।