यह भी पढ़ें जयपुर एयरपोर्ट पर मचा हंगामा, पहुंच गए थे यात्री, तभी फ्लाइट को अचानक कर दिया गया रद्द राजस्थान में 15.97 प्रतिशत महिलाएं थायरॉयड विकार से ग्रसित मिली है। इनमें से 1.28 प्रतिशत को हाइपोथायरॉयडिज्म, 4.79 प्रतिशत को सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉयडिज्म, 4.47 प्रतिशत को पृथक हाइपोथायरोक्सिनेमिया, 1.92 को स्पष्ट हाइपरथायरॉयडिज्म और 3.51 प्रतिशत में सबक्लिनिकल हाइपरथायरॉयडिज्म से ग्रसित है।
यह भी पढ़ें अब राजस्थान में भी कोरोना की एंट्री, अलर्ट मोड पर आया चिकित्सा विभाग, केरल, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में बढ़ रहा खतरा हाइपोथायरॉयडिज्म (थायराइड की कमी) के कारण महिलाओं में बांझपन, गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया (गर्भकालीन उच्च रक्तचाप), एनीमिया, शिशु का कम वजन और विकास में रुकावट जैसी जटिलताएं देखी जाती हैं। जीवन रेखा हॉस्पिटल के सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. पीपी पाटीदार ने बताया कि हर गर्भवती महिला को पहले तिमाही में अनिवार्य रूप से टीएसएच टेस्ट करवाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान थायराइड की स्थिति बदलती रहती है, इसलिए समय-समय पर जांच कर इलाज को समायोजित करना आवश्यक होता है।
यह भी पढ़ें राजस्थान से बड़ी खबर, उड़ान के बीच चंडीगढ़ जा रही फ्लाइट में आई तकनीकी खराबी, 65 यात्रियों की जान पर बना संकट थायराइड से ये हो सकती हैं समस्याएं.. हाइपरथायरॉयडिज्म (थायराइड अधिकता) से हाई ब्लड प्रेशर, समय से पहले प्रसव और शिशु में हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, अनियमित माहवारी या बांझपन जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। यह शरीर का मौन संकेत है कि थायराइड असंतुलन हो सकता है।
थायराइड पीड़ित गर्भवती महिलाएं करे ये काम… - नियमित ब्लड टेस्ट करवाएं ताकि थायराइड स्तर की निगरानी हो सके।
- दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से और नियमित रूप से करें।
- संतुलित आहार लें, जिसमें आयोडीन भरपूर मात्रा में हो।
- प्रेगनेंसी से पहले एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें।