Jaipur News: जयपुर में 297 साल से बारिश की भविष्यवाणी का ये अनोखा तरीका, जानें पूरा सच
मानसून की दौरान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे लोगों के लिए गुरुवार का दिन खास होगा, जब परंपरागत वायुपरीक्षण विधि से वर्षा की भविष्यवाणी की जाएगी। राजा-रजवाड़ों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है। खास बात यह है कि, युवा पीढ़ी भी इन परंपराओं को जानने में उत्सुक रहती है
जयपुर में विश्व धरोहर जंतर मंतर पर वायु परीक्षण आज, पत्रिका फोटो
Jaipur: मानसून की दौरान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे लोगों के लिए गुरुवार का दिन खास होगा, जब परंपरागत वायुपरीक्षण विधि से वर्षा की भविष्यवाणी की जाएगी। राजा-रजवाड़ों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है। खास बात यह है कि, युवा पीढ़ी भी इन परंपराओं को जानने में उत्सुक रहती है। श्रावण मास के साथ ही पूरे चौमासे में मानसून की बारिश के आकलन के लिए आषाढ़ी पूर्णिमा पर वायु परीक्षण किया जाएगा।
विश्व धरोहर स्मारक जंतर मंतर स्थित वेधशाला पर 105 फीट ऊंचे सम्राट यंत्र के शिखर पर शहर के प्रमुख ज्योतिषी जुटेंगे। शाम 7:19 बजे ध्वज पूजन के साथ परीक्षण की शुरुआत होगी। जंतर-मंतर की अधीक्षक प्रतिभा यादव ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के वृष्टि विज्ञान के आधार पर यह आकलन किया जाएगा।
पूर्व, उत्तर और ईशान कोण की हवा श्रेष्ठफलदायी
वायुपरीक्षण का इस बार 298वीं बार आयोजन होगा। ज्योर्तिविद पं. दामोदर प्रसाद शर्मा और पं. घनश्याम स्वर्णकार ने बताया कि वायुपरीक्षण कर पूरे संवत्सर का फल निकाला जाता है। पूर्व, उत्तर और ईशान कोण की हवा श्रेष्ठफल देने वाली होती है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी नवम्बर से जून तक का समय वर्षा का गर्भाधान काल कहलाता है। इस आठ माह के काल के योग को शामिल कर दोनों के आकलन से यह निष्कर्ष निकाला जाता है।
इस गणना से चातुर्मास में होने वाली वर्षा संबंधी पूर्वानुमान की विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। सौ किलोमीटर की परिधि में वर्षा के पूर्वानुमान की भविष्यवाणी की जाएगी। यह परीक्षण रियासतकाल से होता रहा है, अंग्रेज भी इसे देखने आते थे।
इनका करेंगे आकलन
अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान की ओर से शास्त्री नगर स्थित साइंस पार्क में शाम 7:20 बजे वायुपरीक्षण किया जाएगा। संयोजक डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि यह परंपरा सन् 1727 में शुरू हुई थी। ज्योर्तिविद पं. चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि वायुवेग, दिशा और तापमान जैसे प्राकृतिक संकेतों के आधार पर यह आकलन किया जाएगा कि आने वाले दिनों में वर्षा अधिक या कम होगी। कार्यक्रम संत रामरतन दास की अध्यक्षता में होगा।
पहले होता था विचार-विमर्श
जंतर मंतर के पूर्व अधीक्षक ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा से आषाढ़ पूर्णिमा तक पूरे नौ महीने के योग-संयोग, ग्रह चाल से आकलन किया जाता था। अब एक से दो महीने के आधार पर जंतर मंतर पर पूर्वानुमान किया जाता है। आखातीज पर मौसम, टिटिहरी के अंडे, चिड़िया की चाल आदि को देखकर भी अनुमान लगाया जाता था। पूर्णिमा से पहले सभी ज्योतिष एक-दूसरे से विचार-विमर्श कर निर्णय लेते थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकारी तंत्र वायुपरीक्षण को औपचारिकता के तौर पर निभा रहा है।
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