वरिष्ठ जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं आर्थोस्कोपिक सर्जन डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि यह सर्जरी एक ऐसे मरीज की हुई, जिसे रोटेटर कफ इंजरी थी। पहले सर्जरी के दौरान किसी सहायक को मरीज के हाथ को स्थिर रखना होता था। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में अंग को पकड़े रखने से थकान और कंपन होने की आशंका रहती थी। कई बार यह स्थिति सर्जरी को जटिल बना देती थी। लेकिन स्पाइडर-2 मशीन आने से यह काम अब मशीन खुद करती है और अंग पूरी तरह स्थिर रहता है।
यह एक खास तरह की मशीन है, जो ऑपरेशन के दौरान मरीज की बाजू या पैर को अलग-अलग दिशा में मोड़कर या खींचकर उसी स्थिति में स्थिर रखती है। कंधे की सर्जरी में जब छोटे कैमरे और औजार अंदर जाते हैं, तब यह तकनीक डॉक्टरों को साफ दृश्य और सटीक काम करने में मदद करती है। डॉ. गुप्ता के मुताबिक इससे सर्जरी में लगने वाला समय घटता है, खून की कमी कम होती है और ऑपरेशन के नतीजे बेहतर मिलते हैं। सुवीरा हॉस्पिटल के डॉ गुप्ता ने बताया कि मशीन की सटीकता के कारण मांसपेशियों को कम नुकसान होता है। इससे दर्द भी कम महसूस होता है और कंधे की मूवमेंट जल्दी लौट आती है।