जानकारी के अनुसार भरतपुर के कामां निवासी दस वर्षीय मुस्तफा लंबे समय के किडनी की बीमारी से ग्रस्त है। 4 दिसम्बर को सांस लेने में तकलीफ होने पर परिजन बच्चे को पहले निजी अस्पताल लेकर गए। वहां उसे आराम नहीं मिला तो जेके लोन अस्पताल लेकर आए। उस समय उसकी तबीयत ज्यादा खराब थी। इसलिए डॉक्टरों ने उसे ब्लड चढ़ाने के लिए कहा तो, परिजनों ने ब्लड बैंक से लाकर ब्लड चढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि, उसे एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया।
7 दिसम्बर को दोबारा ब्लड की जरूरत पड़ी और उस वक्त दोबारा ब्लड के लिए डिमांड स्लिप ब्लड बैंक पहुंची तब हड़कम्प मच गया। कारण कि, उस वक्त ब्लड ग्रुप की जांच की तब उसमें ओ पॉजिटिव की पुष्टि हुई। जबकि उसे दो दिन पहले एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया था।
जांच कमेटी गठित
इसकी जानकारी जैसे ही चिकित्सकों मिली तो उन्होंने 8 दिसम्बर को अस्पताल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा को सूचना दी। इसके बाद अधीक्षक ने सोमवार को एक चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। जिसमें सीनियर प्रोफेसर डॉ. कपिल गर्ग, सीनियर प्रोफेसर डॉ आरएन सेहरा, डॉ केके यादव और ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ शांतिप्रिया भारद्वाज शामिल हैं। बताया जा रहा है कि कमेटी जांच में जुट गई है। चार दिन उसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
अधीक्षक बोले, लिखने में गलती हो सकती है, रिपोर्ट नॉर्मल
अस्पताल अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने बताया कि बच्चा अभी भी वेंटीलेटर सपोर्ट पर है। जब वो आया था तब उसका क्रिएटिनिन 10 था, जो अब 3 ही रह गया है, वो इम्प्रूव कर रहा है। गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने की मामले की जांच चल रही है। अभी तक बच्चे में कोई रिएक्शन नहीं दिखा है। संभवत: ब्लड ग्रुप लिखने में भी त्रुटि हो सकती है। यह भी सामने आया कि बच्चे को यहां आने से पहले भी ब्लड चढ़ा था, वो भी गलत हो सकता है, उसके आधार पर भी यहां पहली बार ब्लड चढ़ाने वक्त ब्लड ग्रुप गलत हो सकता है। इन बिन्दुओं पर जांच चल रही है।