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जैसलमेर

रेगिस्तान में खेती का नया दौर : अब नई तकनीक बढ़ाएगी उपज

पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में खेती के लिए जलवायु हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन अब लो-टनल तकनीक इस मुश्किल को आसान बना रही है।

जैसलमेरJan 29, 2025 / 07:43 pm

Deepak Vyas

jsm
पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में खेती के लिए जलवायु हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन अब लो-टनल तकनीक इस मुश्किल को आसान बना रही है। इस नई विधि के जरिए किसान न केवल अपनी फसल को सर्दी, ओस और तेज हवाओं से बचा सकते हैं, बल्कि कम पानी में अधिक उत्पादन भी ले सकते हैं। रेगिस्तानी इलाकों में सिंचाई की समस्या किसानों के लिए बड़ी परेशानी रही है, लेकिन लो-टनल तकनीक से पानी की बचत के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इस तकनीक में प्लास्टिक या हल्के ढांचे से पौधों को ढककर खेतों का तापमान नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसल खराब होने से बचती है और बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन संभव हो पाता है।

पाले से सुरक्षा, मौसम की मार से राहत

पोकरण कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.दशरथप्रसाद के अनुसार, इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फसलें पाले और सर्दी से सुरक्षित रहती हैं। रात में जब तापमान गिरता है, तब लो-टनल की संरचना पौधों को गर्म बनाए रखती है, जिससे उनकी जैविक गतिविधियां प्रभावित नहीं होती और उनकी वृद्धि सामान्य रूप से जारी रहती है।

पोकरण में किसानों को मिल रहा प्रशिक्षण

पोकरण कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों के लिए बंद गोभी, मिर्च, टमाटर, प्याज और बैंगन जैसी फसलों की प्रदर्शन इकाइयां स्थापित की गई हैं, ताकि वे लो-टनल तकनीक को प्रत्यक्ष रूप से देख और सीख सकें। इस तकनीक के माध्यम से खेती करने वाले किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकेगी।

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