रेत में राहत: संकट से जूझने वाली मिले फोर्स
यह फोर्स विशेष रूप से रेगिस्तानी आपदाओं के अनुकूल तैयार होगी। गर्म हवाओं, बवंडरों, सूखे और रेतबाड़ी जैसी परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए इसके पास विशेष उपकरण और प्रशिक्षण होगा। यह पहल देश में पहली बार किसी क्षेत्र विशेष के लिए इस तरह का बल तैयार करने का उदाहरण बन सकती है। सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य आपात स्थितियों में भी डेजर्ट डिजास्टर फोर्स सेना और बीएसएफ के साथ मिलकर तेजी से एक्शन ले सकेगी। रेगिस्तानी इलाकों में सीमित संसाधनों के बीच त्वरित निर्णय क्षमता इस बल की सबसे बड़ी ताकत होगी।स्थानीय प्रशिक्षण केंद्र से बनेगा देश का रेगिस्तानी मॉडल
जानकारों के अनुसार जैसलमेर में एक स्थायी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई जा सकती है, जहां देश भर से युवा आकर रेगिस्तानी आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण ले सकेंगे। इससे न केवल जैसलमेर को नया गौरव मिलेगा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय मॉडल भी बन सकता है। डेजर्ट डिजास्टर फोर्स के संचालन में सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन का समन्वय सुनिश्चित किया जाए तो एक बेहद सुदृढ़ और गतिशील ढांचा विकसित हो सकेगा। इसके साथ-साथ सीमावर्ती सुरक्षा और नागरिक राहत दोनों ही स्तरों पर मजबूती आ सकेगी।क्यों जरूरी
-बवंडर, आंधी और सूखे से बार.बार संकट-सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ व तस्करी की आशंका -बाहरी राहत बलों पर निर्भरता से देरी
क्या हो सकेगी फोर्स की भूमिका
-रेतबाड़ी, गर्म हवाओं और सूखे में राहत कार्य
-सेना, प्रशासन व एनडीआरएफ के साथ समन्वय