विभाग की नसीहत- धैर्य रखें
शिकायतों के बाद शहरवासी जब डिस्कॉम से संपर्क करते रहे तो जवाब मिलता- 33 केवी डेडानसर पर काम चल रहा है। कृपया धैर्य रखें, 40-50 मिनट में सप्लाई सामान्य हो जाएगी..। हकीकत यह है कि शहर के कई इलाकों में यह 40 मिनट कई घंटे में भी नहीं बदले।सवाल : तकनीकी फॉल्ट या ढीली निगरानी?
हर बार तकनीकी फॉल्ट के नाम पर पल्ला झाडऩे की कोशिश होती है, लेकिन मूल सवाल यह है कि क्या व्यवस्था इतनी कमजोर है कि हल्की बारिश और हवा भी उसे झकझोर देती है? क्या ट्रांसफॉर्मर, फीडर और जंपर इतने जर्जर हो चुके हैं कि बार-बार फेल हो जाते हैं?व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
लोगों ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारों के प्रति नाराजगी जताई। उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी और टूरिज्म हब बनने की बात करने वाले शहर में अगर रातभर बिजली न आए तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।न सिर्फ रात, दिन में भी रहा संकट
विद्युत संकट सिर्फ रात तक सीमित नहीं रहा, शनिवार सुबह भी कई बार लाइट गुल हुई।स्कूल, दुकानों और घरों में इसका असर साफ दिखा। बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह गर्मी किसी सजा से कम नहीं रही।पूरी रात बच्चों ने रो-रोकर काटी
शुक्रवार रात बिजली चली गई, इनवर्टर भी जल्दी डाउन हो गया। बच्चों को नींद नहीं आई, पूरा परिवार छत पर बैठा रहा। इतना गर्म मौसम और बिजली नहीं — ये व्यवस्था की सबसे बड़ी नाकामी है।बिजली नहीं, काम कैसे करें?
रात की तो छोडि़ए, शनिवार सुबह भी बार-बार बिजली जा रही थी। दुकान खोलने के बाद भी काम नहीं हो सका। ग्राहक लौट गए। बार-बार ट्रिपिंग से हमारे उपकरण भी खराब हो रहे हैं।-अशोक कुमार, दुकानदार
एक ही जवाब- धैर्य रखें
कितनी बार कंट्रोल रूम पर कॉल किया, जवाब मिलता है — ‘धैर्य रखें’… मगर कब तक? क्या हर बारिश के बाद हम यूं ही परेशान होते रहेंगे?
- गोकुल व्यास, स्थानीय निवासी