पोकरण: न संसाधन, न प्रशिक्षण, न उम्मीद
वहीं, पोकरण क्षेत्र की तस्वीर इसके ठीक उलट है। ढाई लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र में न तो कोई आधुनिक स्किल डवलपमेंट सेंटर है, न ही पर्याप्त औद्योगिक आधार आइटीआइ कॉलेज है, पर वहां प्रशिक्षकों और ट्रेड्स की भारी कमी है। राजकीय योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, राजीव गांधी ग्रामीण कौशल योजना भी केवल कागजों तक सीमित हैं।राणाराम सोलंकी, एक युवा बताते हैं कि आइटीआइ से कोर्स तो किया, पर स्थानीय स्तर पर ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है जहां उसका इस्तेमाल हो सके। पढ़ाई के अनुसार नौकरी नहीं मिल रही। असीम विश्नोई कहते हैं कि अगर पोकरण में स्किल सेंटर खुल जाएं तो न केवल प्रशिक्षण मिलेगा, बल्कि युवाओं का पलायन भी रुकेगा।
पलायन बन रहा मजबूरी
पोकरण क्षेत्र के अधिकतर युवा 12वीं और स्नातक तक पढ़ाई के बाद जोधपुर, जयपुर जैसे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। वहां उन्हें सिर्फ डिप्लोमा के आधार पर कम वेतन वाली नौकरियां ही मिल पाती हैं। परंपरागत रोजगार जैसे खेती, पशुपालन और सीमित व्यापारिक गतिविधियां युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही हैं।यहां सौर व पवन ऊर्जा संयंत्र तो हैं, लेकिन तकनीकी योग्यताएं न होने से बड़े पदों पर बाहरियों को नौकरी मिल रही है।
क्या हो सकते हैं प्रभावी प्रयास
-पोकरण में आधुनिक स्किल डवलपमेंट सेंटर स्थापित किए जाएं। -आइटीआइ में नए ट्रेड्स जोड़े जाएं और खाली पदों पर नियुक्तियां हों।- लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाए।
- डिजिटल साक्षरता और कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।