पुरुष ही निभाते हैं महिला पात्र
जैसलमेर जिले में पुरानी रम्मत कला को आज भी कई समर्पित लोगों ने जीवित रखा है। करीब सौ साल पुरानी रम्मत से पुराने समय में होने वाले युद्ध के समय सिपाहियों का मनोरंजन किया जाता था। बाद में यह आमजन के मनोरंजन का हिस्सा बन गई। परंपरागत रूप से होने वाली रम्मत में पुरुष ही महिलाओं के भी किरदार निभाते हैं। ख्याल में महिला पात्र को भी पुरुष ही निभाते है। जैसलमेर जिले में तेज कवि की ओर लिखित राजा भृतहरि, मोतीलाल सुगनलाल व्यास की ओर से लिखित सती-सावित्री ख्याल का मंचन व भक्त पूरणमल प्रचलन में है। जैसलमेर में विगत वर्षों से लगातार रम्मतों का मंचन कर इसे नई पीढ़ी से भी जोड़ा गया है। इसके कलाकार कई दिन पहले सोनार दुर्ग की अखेप्रोल में बाबा रामदेव मंदिर प्रांगण में अभ्यास करते हैं।