यह था मामला
जिले के बईया गांव में निजी कम्पनी की तरफ से ग्रिड सब स्टेशन बनवाने की प्रक्रिया दो माह पहले शुरू की गई। जिसका ग्रामीणों ने यह कहते हुए विरोध किया कि मुंहबोली ओरण जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाया जाए और वहां किसी तरह का काम नहीं हो। शिव विधायक रविंद्रङ्क्षसह भाटी भी ग्रामीणों के बीच पहुंच गए और उनकी मांग का समर्थन किया। ग्रामीण और प्रशासन आमने-सामने भी हुए। दूसरी ओर जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने यह मामला मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री तक पहुंचाया और इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने जांच-पड़ताल के बाद आगामी कदम उठाया।
ओरण की जमीन को छोडऩे पर आंदोलन समाप्त
इस बीच आंदोलनरत ग्रामीणों ने बताया कि बईया गांव में ओरण के विषय को लेकर चल रहे बड़े आंदोलन को सोमवार को जिला प्रशासन ने लिखित में ओरण के खसरों को छोडऩे पर सहमति बन गई है। एडवोकेट मुकंदसिंह भाटी ने बताया कि 62 दिन से निरंतर चल रहे धरने के बाद बईया के ग्रामीणों ने 5 जनवरी को जिला मुख्यालय की ओर कूच किया है था, सोमवार सुबह नरसीगों की ढाणी पहुंचने पर जिला प्रशासन के अधिकारी वहीं मिलने पहुंचे और लिखित में बईया, गाले की बस्ती, भू और मगरा के ओरण के खसरे छोडऩे पर बनी सहमति और वहीं पर चल रही ओरण बचाओ यात्रा को तथा धरना समाप्त किया गया। इस मौके पर सोभसिंह, रूपसिंह छुगसिंह, हठुसिंह, रेवंतसिंह, भगवान सिंह मोहम्मद अली, मोतीसिंह, राजूराम भू, हनवंत सिंह राम सिंह, अपर सिंह, सुरेंद्र सिंह, भोपालसिंह झलोड़ा, सुमेरसिंह सांवता, समुंद्र सिंह झिनझिनियाली आदि उपस्थित थे।