पुराने घाव फिर हरे हुए
गौरतलब है कि वर्ष पांच वर्ष पूर्व में गांव स्थित दो ऐतिहासिक छतरियों को तोड़ दिया गया था। ये छतरियां रामचंद्र सिंह सोढ़ा और हुड़ूड पालीवाल की स्मृति में 1892 में बनाई गई थीं। इस तोड़फोड़ के खिलाफ उस समय क्षेत्रीय संगठनों ने विरोध जताया था और दोबारा निर्माण की मांग की थी। अब जब इन्हें पुनः स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो कुछ तत्वों ने इसका विरोध किया।
महिलाएं आगे कर हुई पत्थरबाजी
प्रशासन का कहना है कि पथराव की योजना पहले से बनाई गई थी और महिलाओं को आगे कर पत्थर फेंके गए, जिससे पुलिस बल और मौजूद ग्रामीणों को संभलने का मौका नहीं मिला। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस-प्रशासन सतर्क, कई हिरासत में
घटना की गंभीरता को देखते हुए जैसलमेर पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी स्वयं मौके पर पहुंचे। अतिरिक्त जाप्ता बुलाकर गांव में शांति व्यवस्था कायम की गई। कई लोगों को हिरासत में लिया गया है और सीसीटीवी व मोबाइल फुटेज के आधार पर अन्य की पहचान की जा रही है।
गांव बना छावनी, अफवाहों पर नजर
बासनपीर में फिलहाल भारी पुलिस बल तैनात है और पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। सोशल मीडिया पर अफवाहें न फैलें, इसके लिए साइबर टीम निगरानी कर रही है। जिला प्रशासन ने सभी से संयम बरतने और शांति बनाए रखने की अपील की है।