राजस्थान के सरकारी स्कूलों में लम्बे समय से रिक्त प्राचार्य व समकक्ष के पद जल्द भरने वाले हैं। प्रदेश में 5005 उप प्राचार्य को प्राचार्य या समकक्ष पद पर पदोन्नत किया है। उनको नियुक्ति देने के लिए काउंसलिंग कुछ ही दिनों में करवाई जाएगी। वहीं प्रदेश में 7 ऐसे उप प्राचार्य भी है, जिनकी पदोन्नति तो हो गई, लेकिन उनके नाम को बंद लिफाफों में रखा है। इन पर सीसीए की कार्रवाई चल रही है या निलम्बित है। इनमें ऐसे कार्मिक भी है, जिनकी संतानों की संख्या दो से अधिक है।
राजस्थान में 1 जनवरी को प्राचार्य व समकक्ष के 17 हजार 952 में से 7624 पद रिक्त थे। जिन पर 5005 उप प्राचार्य को पदोन्नत किया गया है। इनकी नियुक्ति के बाद प्रदेश के स्कूलों में प्राचार्य के केवल 2619 पद रिक्त रह जाएंगे। उधर, उप प्रचार्य के 7565 रिक्त पदों की संख्या में 5005 पद ओर जुड़ जाएंगे। इस तरह यह संख्या 12 हजार से अधिक हो जाएगी। ऐसा होने पर प्राचार्य पर ही उप प्राचार्य के कार्य का भी बोझ आ जाएगा।
स्कूलों में यह है प्राचार्य के कार्य
स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति, बैठक व्यवस्था के साथ ही प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा कर उसकी मॉनिटरिंग करना। कोर्स समय से पूरा किया जाना, गुणवत्तायुक्त शिक्षण की मॉनिटरिंग। शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। शिक्षकों की उपस्थिति में नियमितता और समय पालन करवाना।
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उप प्राचार्य के कार्य
उप प्राचार्य का कार्य स्कूलों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए समय-सारिणी बनाना। शिक्षकों व कार्मिकों की नियुक्त करवाना। पाठ्यपुस्तकों और आपूर्तियों का कार्य करना। विद्यार्थियों से जुड़े कार्य को पूर्ण करवाना, जिसमें शैक्षिक व सह शैक्षिक सहित अन्य कार्य शामिल हैं। वे स्कूल में अनुशासनात्मक कार्य भी करते हैं।
स्कूलों का संचालन होगा बेहतर
प्राचार्य के पद पर पदोन्नति से स्कूल का संचालन बेहतर तरीके से हो सकेगा। वहीं कुछ जगह पर उप प्राचार्य के पद रिक्त हो सकते हैं।