Liquor shop: शराब ही सरकार के प्रमुख आय का स्त्रोत
विभागीय अफसरों के पास सरकार का इतना दबाव है कि उन्हे किसी भी तरह से ज्यादा से ज्यादा शराब बिकवाना है। ताकि लक्ष्य की प्राप्ति हो सके। जिले में 48 शराब दुकाने हैं। जिसमें आधे से अधिक दुकानें कंपोजिट है। कंपोजिट यानी देसी व अंग्रेजी शराब दुकानें एक साथ संचालित है। वहीं दो प्रिमियत शॉप है। जो जांजगीर व चांपा में खुली है। प्रिमियत शॉप भी अंग्रेजी शराब दुकान है। जहां ब्रांडेड किस्म की महंगी शराब बिक्री की जाती है। ऐसे दुकानों में एक हजार रुपए से लेकर 20 हजार रुपए बॉटल तक शराब की बिक्री की जाती है। लक्ष्य के मुताबिक इन दुकानों में हर रोज 70 लाख रुपए की शराब बिकवाना है। ताकि सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो सके। क्याेंकि शराब ही सरकार के प्रमुख आय का स्त्रोत है।
सरकार शराब बिक्री की राशि से ही
महतारी वंदन की राशि कहें या अन्य योजनाओं में खर्च करती है। योजनाओं की राशि हितग्राहियों को समय पर देने के लिए सरकार को राजस्व की वसूली पर ज्यादा फोकस रहता है। ताकि खजाने में पैसे आए और योजनाओं में खर्च की जाए। इसके चलते विभागीय अफसरों को इतना दबाव डाला जाता है कि किसी भी सूरत में लक्ष्य की प्राप्ति करो।
प्राइम वन कंपनी पर भी पड़ रहा दबाव
जिले में प्राइम वन कंपनी के ठेकाकर्मी काम करते हैं। इन ठेका कंपनियों पर भी शराब बिक्री पर इतना दबाव रहता है कि वे नियम कानून को ताक में रखकर शराब की बिक्री करते हैं। बीते दिवस नवागढ़ में पुलिस ने बल्क में पेटियों में बड़ी तादात में शराब की बिक्री कर दी थी। इसकी शिकायत भी एसी से की गई थी। इसके बाद अवैध बिक्री पर लगाम लगा है।
अलेखराम सिदार, एसी, आबकारी: जिले के 48 शराब दुकानों में साल में 265 करोड़ की शराब बिक्री का लक्ष्य है। लक्ष्य का पीछा करते हुए शराब की बिक्री की जाती है। ताकि हर हाल में टार्गेट पूरा किया जा सके।
नतीजा यह सामने आता है…
Liquor shop: अफसरों के पास एक ओर शराब बिकवाने का दबाव रहता है तो वहीं दूसरी ओर अवैध शराब को पकड़ने का। आबकारी टीम अवैध शराब पकड़ने फील्ड में निकलती है और शराब पकड़ती भी है। लेकिन जिले में इतनी अधिक मात्रा में अवैध शराब की बिक्री होती है कि आबकारी अमला हर ठिकानों में नहीं पहुंच पाती। लिहाजा सरकारी शराब बिक्री पर इसका सीधा असर पड़ता है। अवैध सरकार बिकने से राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है।