Jhalawar News: झालावाड़ जिले में पिछले दिनों हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खरीफ सीजन की बुआई करना शुरू कर दिया है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को जागरूक होने के साथ सतर्क रहने की बात कही है। कृषि विभाग झालावाड़ के सहायक निदेशक कैलाशचन्द मीणा ने बताया कि किसान खरीफ सीजन की बुआई करने के लिए खेतों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। वहीं कई किसानों ने बुवाई भी कर दी है। जिले में करीब 2 हजार हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। खरीफ सीजन की फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किसान उर्वरकों का उपयोग भी करते हैं। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग डीएपी के असली दिखने वाले बैग्स में नकली उर्वरक भरकर बेच देते हैं, जिसका सीधा नुकसान किसान एवं फसल को होता है।
हालांकि विभाग नकली उर्वरक, बीज व कीटनाशक बेचने वालों के विरुद्ध समय-समय पर जांच अभियान चलाकर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन ऐसे लोगों से बचने के लिए किसानों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि वे असली व नकली उर्वरक की पहचान कर सकें और इस प्रकार का अवैध काम करने वालों की सूचना विभाग को दे सकें। गौरतलब है कि जिले के पिड़ावा में हाल में एक दुकान पर नकली खाद बड़ी मात्रा में मिला था। जिस पर कृषि विभाग ने सील कर कार्रवाई की थी।
इस प्रकार बच सकते
असली उर्वरकों की पहचान संबंधी सामान्य जानकारी रख उर्वरक खरीदते समय होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। किसान सहायक कृषि निदेशक के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। या 9672768995 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मीणा ने बताया कि किसान उर्वरक खरीदते समय कुछ सामान्य जानकारी रखकर बाजार में मिलने वाले नकली उर्वरकों की पहचान करके ठगी के शिकार होने से बच सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
किसान बीज उर्वरक एवं कीटनाशक अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें। किसान कृषि आदान संबंधित किसी भी प्रकार का बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक ऑनलाइन नहीं मंगा कर ऑनलाइन होने वाली संभावित ठगी से बचें।
किसी भी प्रकार का कृषि आदान खरीदते समय अधिकृत विक्रेता से बिल अवश्य प्राप्त करें। कृषि आदानों का उपयोग करते समय इसकी निर्धारित मात्रा एवं सही आदान का ही प्रयोग करेंए ताकि होने वाले अपव्यय से बचा जा सके।
मीणा ने बताया कि नकली बीज एवं उर्वरक न केवल उत्पादन को प्रभावित करते हैं, बल्कि किसान को आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए बाजार में मिलने वाले मुय उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपीए एसएसपी, पोटाश एवं जिंक सल्फेट आदि की असली है या नकली की पहचान निन तरीकों को अपनाकर कर सकते हैं।
यूरिया: यूरिया के सफेद गोल आकार के एक जैसे दाने होते हैं, इसकी पहचान के लिए यूरिया के कुछ दानों को एक पानी के गिलास में डालकर उसके हिलाने पर संपूर्ण यूरिया पानी में घुल जाता है। पानी को छूने पर ठंडा महसूस हो तो यूरिया असली है।
डीएपी: डीएपी के दाने कंकर की तरह अनियमित आकार लिए होते हैं, इसकी पहचान के लिए डीएपी के दानों को हथेली में रखकर तंबाकू की तरह इसमें चूना मिलाकर रगड़ते हैं तो तेज गंध का एहसास होता है,तो डीएपी असली है। दूसरा, तरीका यह है कि डीएपी के कुछ दानों को तवे पर रखकर गर्म करने पर देखेंगे कि असली डीएपी के दाने फूल जाते हैं और नकली डीएपी के दाने फूलते नहीं हैं।
पोटाश: असली पोटाश सफेद नमक एवं लाल मिर्च जैसा होता है, असली पोटाश के दाने नमी होने पर या उसमें पानी मिलाने पर आपस में चिपकते नहीं हैं। इसका दूसरा तरीका यह है कि पोटाश में पानी मिलाने पर इसमें उपस्थित लाल दाने पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगते हैं तो समझना चाहिए कि पोटाश असली है अन्यथा यह नकली हो सकता है।
जक सल्फेट: जिंक सल्फेट हल्का सफेद या पीले भूरे रंग का होता है, इसकी पहचान के लिए डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट मिलाने पर थकेदार घना अवशेष बन जाए तो पोटाश असली है, अगर ऐसा नहीं होता है तो पोटाश में मिलावट है।