झालावाड़ में आते हैं ये प्रवासी पक्षी-
कॉमन टील,सारस क्रेन, बार हिडेड गूज, लिटिल ग्रेब, कॉमन कूट, नॉनथ्रिन पेनटेल, कॉटन पाइमी गूज, पेनटेड स्ट्रॉक, यूरेशिइन स्पूनबिल, रड्डी शेलडक, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, कॉमन मूरहेन, ग्रे हिरोन, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रैड वैल्टड लेपविंग, लिटिल ईग्रेट, लिटिलई कारमोरेन्ट, लिटिल रिंगगेड प्लोवर, हाउस स्पेरो, ब्लू रॉक पिजन, इग्पटेन वॉल्चुर आदि देशी व विदेशी पक्षी जिले के वेटलेंड पर आते हैं।
बड़बेला सबसे मुफीद
जिले में देशी-विदेशी प्रवासी पक्षियों को बड़बेला और इसके आसपास का क्षेत्र सर्वाधिक पसंद है। यहां पक्षियों की सर्वाधिक तादाद रहती है। यहां पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण, भोजन सहजता से उपलब्ध रहता है।
इतने लोग लगाए-
सहायक उपवन संरक्षक संजू कुमार शर्मा ने बताया कि जिले में वन विभाग की ओर से पक्षियों की गणना के लिए दूरबीन की सहायता ली जा रही है। इसके लिए वन विभाग ने असनावर रेंज में 8 व झालावाड़ में 6 वन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। जो 2 फरवरी तक गणना करके पूरी रिपोर्ट बनाकर पक्षियों की संख्या मुख्यालय को भेजी जाएगी।
शोधार्थियों को मिलेगी जानकारी-
जिले में पक्षी की गणना होने व वेटलेंड पर आने वाले े के बारे में स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों को जानकारी मिलेगी। साथ ही पक्षी विशेषज्ञों व इस विषय में शोध करने वाले शोधार्थियों को भी पक्षियों के बारे में कई नई-नई जानकारियां सीखने को मिलेगी।
2 को होगी पूरी-
जिले में आधा दर्जन स्थानों पर पक्षियों की गणना की जा रही है। प्रतिदिन सुबह-सुबह गणना की जाती है। ये 2 फवरी को पूरी होगी, तब पता चलेगा किस प्रजाति के कितने पक्षी जिले में आए है। जिनमें देशी-विदेशी कितने हैं।
सागर पंवार, उपवन संरक्षक,झालावाड़।