scriptपढऩे की उम्र में बहक लाडो, तीन साल में 531 नाबालिग घर से गायब | - गायब होने के लगातार बढ़ रहे मामले | Patrika News
झालावाड़

पढऩे की उम्र में बहक लाडो, तीन साल में 531 नाबालिग घर से गायब

– गायब होने के लगातार बढ़ रहे मामले

झालावाड़Jan 19, 2025 / 12:25 pm

harisingh gurjar

– घटनाओं से परिजन हो रहे परेशान

झालावाड़.जिले में लगातार गायब हो रही नाबालिग बच्चियों और बच्चों का मामला चिंताजनक है। बदली आबोहवा का ही हाल है कि झालावाड़ जिले में 3 साल में 531 नाबालिग ने अपना घर छोड़ दिया। यानी हर माह 14-15 नाबालिग अपने ही घर वालों के खिलाफ कदम उठा रही हैं। कई बालिकाओं का तो अब तक सुराग तक नहीं लगा है। पढऩे लिखने की उम्र में इसे नासमझी कहे या प्रेम जाल,बस झांसे में आकर घर से गायब हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण परिजनों की लापरवाही और मोबाइल का दुरुपयोग माना जा रहा है। घर से गायब होने वाली नाबालिग लड़कियों में अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की है, तो कुछ सक्षम परिवार की भी शामिल है। इनमें कुछ बालिकाओं को तलाश कर पुलिस ने बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया,जहां से उनका पारिवारिक पुनर्वास भी किया गया।

मोबाइल सबसे बड़ा कारण-

बालिकाओं के घर से भागने की घटनाओं के पीछे मुख्य कारण मोबाइल फोन का गलत उपयोग है। साथ ही अभिभावकों का इस ओर कोई ध्यान नहीं देना। आमतौर पर देखने में आया है कि मोबाइल नंबर के आदान-प्रदान के बाद नाबालिग चोरी छीपे फोन पर बात करती है। इसके बाद वे प्रेम जाल में फंसकर बहक जाती है और घर से उसके साथ भाग जाती है। साथ ही गरीबी और कई तरह के कारण भी सामने देखने को मिलते है।

फैक्ट फाइल-

– तीन साल में घर से पलायन कर्ता बालिकाएं- 531

– तीन साल में दस्तयाब- 498

– पेडिंग- 33

यह है मुख्य कारण

– मोबाइल और सोशल मीडिया फ्रेंडली होना
– माता-पिता की व्यस्तथा

– बालिकाओं के पलायन का कारण बाल विवाह, वे इतनी जल्दी विवाह करना नहीं चाहती।

– दोस्तों के साथ जाने के बहाने घर से निकलना।

– पढ़ाई से ज्यादा समय मोबाइल और सोशल मीडिया में देना।

एक्सपर्ट व्यू-

माता-पिता के पास समय का अभाव होने के कारण बालिकाओं के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं दे पाते। घर में बालिकाओं की सहभागिता बहुत कम होने से जिम्मेदारी का एहसास नहीं हो पा रहा और अपनी पसंद का विवाह करना चाहती है। परिणाम स्वरूप पलायन कर रही है आधुनिकता की अंधी होड़ में बालिकाएं भ्रमित हो रही है। सोशल मीडिया के कारण भी बालिकाएं समय से पूर्व मैच्योर हो रही है। मोबाइल का उपयोग गलत तरीके से किया जा रहा है। लक्ष्य और उद्देश्य विहीन विचारधारा मात्र पहनावे और दिखावे तक सीमित होती जा रही है। माता-पिता को अपने साथ-साथ बच्चों की और अपनी विचारधारा में पुन: परिवर्तन लाना होगा,तभी सुदृढ़ समाज का निर्माण होगा। बालिकाओं को सामाजिक जिम्मेदारी देने के साथ-साथ अच्छे-बुरे का भेद परिजनों को समझाना होगा, ऐसी घटनाओं के दूरगामी दुष्परिणाम से भी अवगत कराना होगा। झालावाड़ जिले में प्रतिमाह 12 से 14 केस घर से पलायनकर्ता बालिकाओं के आ रहे है। ऐसे में अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि बालिकाएं मोबाइल पर क्या देख रही, किससे बात कर रही। स्कूलों में भी जागरूकता शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।

शिवराज सिंह हाड़ा, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, झालावाड़।

जागरूकता की कमी-

जिले में ज्यादातर केस ऐसे आ रहे हैं। जिसमें लड़का व लड़की दोनों नाबालिग होते हैं। घर से पलायन करने वाली बालिकाओं की उम्र 14 से 18 साल के बीच की होती है। ग्रामीण एरिया में जागरूकता की कमी होती है। बच्चे समझती नहीं है कि मैं गलती कर रही हूं, और लड़का समझता है कि लड़की उसकी मर्जी से मेरे साथ जा रही है। लेकिन ये गैर कानूनी है। इसके लिए हम तो तरीके से काम करते हैं जहां भी सीएलजी की बैठक में परिजनों को इसके बारे में बताते हैं तथा स्कूलों में भी इसके बारे में जागरूकत करते हैं। हां ये सही है कि मोबाइल का भी इसमें बड़ा रोल है।

ऋचा तोमर, पुलिस अधीक्षक,झालावाड़।

जबरन घर से उठा ले गए, सौंपा परिवाद

झालावाड़. जिला अधीक्षक को शुक्रवार को एक महिला के पिता ने परिवाद देकर उसकी बेटी को दस्तयाब करने की मांग की। एसपी को दिए ज्ञापन में गोरू बंजारा निवासी पीलिया थाना ढ़ाबी ने बताया कि उसकी बेटी का विवाह मंडावर थाने के कानपुरा गांव में किया था। उसे नाई का तालाब थाना ढाबी जिला बूंदी निवासी महावीर बंजारा व अन्य घर से उठा ले गए। चार माह से अभी तक उसका कोई पता नहीं है। ज्ञापन देकर मंडावर पुलिस द्वारा कार्रवाई किए जाने की मांग की।

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