बता दें, पूर्व मंत्री गुढ़ा का यह बयान सभा में मौजूद भीड़ और प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ इशारा करते हुए दिया गया, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा हो रही है।
23 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन
दरअसल, झुंझुनूं के नवलगढ़ के गोठड़ा में सीमेंट फैक्ट्री के सामने किसान मुआवजा, स्थानीय रोजगार, और पर्यावरण संरक्षण समेत 23 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। सभा के लिए एसडीएम जय सिंह ने अनुमति नहीं दी थी और फैक्ट्री के 300 मीटर के दायरे में धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाई थी। इसके बावजूद किसान जुटे और गुढ़ा ने सभा को संबोधित किया। गुढ़ा ने फैक्ट्री प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सीमेंट कंपनी ने जिंदा गायों को मिट्टी में दफनाया है। उनकी आह खून मांग रही है। यह धरती खून मांगेगी, तभी किसानों को न्याय मिलेगा। किसानों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने रोजगार के वादे पूरे नहीं किए, जिससे स्थानीय लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं। गुढ़ा ने कहा कि फैक्ट्री ने किसानों से उनका हक छीन लिया और उन्हें भिखारी बना दिया। अब लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
प्रशासन और गुढ़ा के बीच तनातनी
रविवार को हुई सभा के दौरान गुढ़ा और पुलिस प्रशासन के बीच तनातनी बढ़ गई। हालांकि, प्रशासन ने सूझबूझ से स्थिति को नियंत्रण में रखा। गुढ़ा ने प्रशासनिक अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ यहां के लोग अपनी जमीन और हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रशासन जनता को दबाने में लगा हुआ है। इस दौरान गुढ़ा ने चेतावनी दी कि यदि 26 जनवरी तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और उग्र होगा। उन्होंने कहा कि जन जागरण अभियान चलाकर किसानों को संगठित करेंगे। इसके बाद सीमेंट फैक्ट्री का ऐसा स्वागत करेंगे जैसा वे खुद तय करेंगे।