हर्षिनी के ससुर नरेन्द्र कुमार प्रधान, विधायक व सांसद रह चुके। कुल्हरी को जिला अध्यक्ष बनाने में उनका भी बड़ा योगदान माना जा रहा है। हर्षिनी खुद भी पार्टी के हर छोटे बड़े कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाती रही है। नियुक्ति के बाद उनके समर्थकों ने मिठाई बांटी व पटाखे छोड़कर जश्न मनाया।
इसलिए बनी जिलाध्यक्ष
जिलाध्यक्ष पद पर अब से पहले चौदह व्यक्ति रह चुके। माना जा रहा है कि जाट समाज को साधने व उनको पार्टी में ज्यादा संया में जोड़ने के लिए इस बार जाट समाज से जिलाध्यक्ष बनाया गया है। हर्षिनी किसी गुट से भी नहीं जुड़ी हुई हैं। भाजपा का मानना है कि उनको पद देने से पार्टी में महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। उनके ससुर नरेन्द्र कुमार ने मंडावा में पहली बार भाजपा का कमल खिलाया था। लेकिन इस बार उनको सांसद का टिकट नहीं दिया गया था। वैसे तो जिलाध्यक्ष की दौड़ में कई नेता शामिल थे, लेकिन कई नामों को लेकर विरोध था। विरोध जयपुर व दिल्ली तक दर्ज कराया गया था। हर्षिनी को लेकर कोई विरोध सामने नहीं आया।
बनवारी लाल सैनी का कार्यकाल पूरा
हर्षिनी कुल्हरी से पहले बनवारी लाल सैनी जिलाध्यक्ष थे। उनका कार्यकाल पूरा हो चुका। पूर्व जिलाध्यक्ष पवन मावंडिया को ओबीसी आयोग में सदस्य बनाकर माली समाज को पहले ही तोहफा दे दिया गया।