शिक्षक ने बताया कि इसका नाम स्टेशनरी बैंक रखा गया है। यहां पहली से बारहवीं कक्षा तक पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पेन, पेंसिल, रबर, पुस्तक व अभ्यास पुस्तिका नि:शुल्क मिलेगी। दूसरे चरण में ऐसे विद्यार्थियों की सहायता की जाएगी जो पढ़ने में होशियार हैं, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में दिक्कत आ रही है।
ऐसे विद्यार्थियों की फार्म भरने में लगने वाली पूरी फीस देंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए गाइड निशुल्क दी जाएगी। किसी युवा का सेंटर दूसरे जिले या दूसरे राज्य में आता है, तो उसे आने-जाने का किराया, भोजन की व्यवस्था भी बैंक से की जाएगी।
ऐसे आया आइडिया
शिक्षक ने बताया कि एक दिन स्कूल में विचार आया कि पैसे वाले अधिकतर लोग तो अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। गांवों में सरकारी स्कूलों के होनहार बच्चे पीछे नहीं रहें इसके लिए संस्था प्रधान प्रतिभा चौधरी से चर्चा की तो उसी दिन से तय कर लिया है ऐसा बैंक बनाएंगे जहां जरूरतमंदों की मदद हो सके। यहां किसी भी वर्ग के छात्र-छात्रा मदद ले सकते हैं। गुमाना का बास गांव के रहने वाले शिक्षक एक बार ब्लॉक स्तर, दो बार जिला स्तर व वर्ष 2024 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित हो चुके। वह भारत सरकार के सीएसआइआर की ओर से बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए होेने वाली परीक्षा के राज्य समन्वयक भी हैं।
सात जनों की कमेटी बनाएंगे
अनूप कुमार ने बताया कि बैंक के संचालन के लिए सात जनों की एक कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में शिक्षकों के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों और गांव के प्रमुख लोगों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कमेटी तय करेगी कि कितने जरूरतमंदों की आर्थिक मदद करनी चाहिए। बालक-बालिकाओं का चयन भी यह कमेटी ही करेगी। यह स्टेशनरी बैंक शुरू हो गया है। विधिवत उद्घाटन तेरह फरवरी को होगा। इस बैंक के माध्यम से जरूरतमंद छात्र-छात्राओं की मदद की जाएगी। इसका संचालन एक कमेटी करेगी।
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प्रतिभा चौधरी, संस्था प्रधान