यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के कारण
राजस्थान में बारिश के दिन घट गए हैं, जबकि बारिश की तीव्रता में बढ़ोतरी हुई है। यानी एक ही दिन में 50 से 80 मिलीमीटर बारिश देखने को मिल रही है। इससे खेत के सबसे निचले हिस्से में बनाए गए तालाब में चारों तरफ का पानी आकर इकट्ठा हो जाता है। खेत में लगे सोलर पंप से ही इस पानी से सिंचाई की जा सकती है।
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी शांतरा ने बताया कि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 70 लाख रुपए के प्रोजेक्ट के जरिए यह मॉडल विकसित किया है। इसका परीक्षण जोधपुर के गजसिंहपुरा गांव और सोढाणियां गांव में भी किया गया। मॉडल के विकास में करीब 4 साल लगे। अब काजरी कार्यशाला के माध्यम से किसानों तक यह मॉडल पहुंचाएगी।
सरकार देगी सब्सिडी
खेत में 3 से 5 हॉर्सपावर का सोलर पंप लगाने का खर्चा दो से साढ़े तीन लाख रुपए है। तालाब बनाने का खर्चा 80 हजार से एक लाख है। सरकार इस पर सब्सिडी भी दे रही है। अतिरिक्त आय भी
हमारा यह मॉडल जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है। इससे किसान अतिरिक्त फसलें उगाकर खेती से अतिरिक्त आमदनी ले सकता है।
- डॉ. ओपी यादव, निदेशक, काजरी जोधपुर