शेखावत ने जोधपुर के सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में कहा कि गहलोत ने उनकी दिवंगत मां के खिलाफ सर्किट हाउस के बाहर अमर्यादित टिप्पणी की थी, जिसे वे जीवन भर नहीं भूल सकते। उन्होंने गहलोत के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने मीडिया के जरिए क्षमा मांगने की बात कही।
‘गहलोत को सामने से बात करनी चाहिए थी’
शेखावत ने इसे ओछी राजनीति करार देते हुए कहा कि गहलोत को सामने आकर बात करनी चाहिए थी, न कि मीडिया के माध्यम से संदेश देने की कोशिश। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मेरी मां अब वापस आएंगी और उनके आरोपों पर सफाई देंगी? मंत्री शेखावत ने गहलोत पर आपातकाल को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि गहलोत अब आपातकाल की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार ने ही उस दौरान संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया का गला घोंटा था। शेखावत ने कांग्रेस पर लोकतंत्र को रौंदने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब वही लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं।
आपातकाल के दौर को किया याद
उन्होंने कहा कि भारत ने लंबी गुलामी के बाद स्वतंत्रता हासिल की, जिसमें लाखों लोगों ने बलिदान दिया। भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि वैदिक काल से चला आ रहा प्राचीनतम गणतंत्र भी है। उन्होंने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा कि लाखों लोगों ने जबरन नसबंदी, जेल और यातनाएं सहीं। उन्होंने पूछा कि क्या उस पीड़ा को भुलाया जा सकता है? मौलिक अधिकारों के हनन और संविधान की हत्या को क्या माफ किया जा सकता है? उन्होंने आपातकाल को लोकतंत्र के खिलाफ अपराध बताया, जिसे देश कभी नहीं भूल सकता। शेखावत ने स्पष्ट किया कि गहलोत के बयान और उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब वे हर मंच पर देंगे।