मेडिकल कॉलेज के एमडीएम अस्पताल में तीन साल पहले रोबोटिक सर्जरी के लिए रोबोट और उपकरण खरीद का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसको अनुमति नहीं दी। इसके बाद भी प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अजमेर, कोटा मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय और उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में भी रोबोटिक सर्जरी की सुविधा नहीं है।
रोबोटिक सर्जरी के ये हैं फायदे
-बहुत छोटा चीरा लगाना पड़ता है।
-जल्दी रिकवरी हो जाती है।
-संक्रमण की आशंका कम रहती है।
-ऑपरेशन के बाद दर्द भी कम होता है।
-जटिल सर्जरी भी आसानी से हो जाती है।
10 से 25 करोड़ का मिला बजट
एक मेडिकल कॉलेज में एक रोबोट और उसके उपकरण की व्यवस्था कर दी जाए तो इससे मरीजों के साथ पढ़ने वाले डॉक्टर्स भी लाभांवित होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो 10 से 25 करोड़ का बजट एक रोबोट खरीद पर मिलता है। ऐसे में यदि प्रदेश के बड़े अस्पतालों में यह व्यवस्था करनी हो तो 100 करोड़ का बजट चाहिए। इसके बाद एम्स जैसी आधुनिक सुविधाएं और राहत मेडिकल कॉलेजों में भी मिल सकेगी।
मई में हुई पहली सर्जरी
हड्डी रोग विभाग के यूनिट प्रमुख डॉ. अरुण वैश्य ने बताया कि एमडीएम अस्पताल में गत मई महीने में हड्डी रोग विभाग में रोबोटिक सर्जरी की गई थी। इसमें सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से रोबोट उपलब्ध करवाया गया था। यह प्रदेश के सरकारी कॉलेज में हड्डी रोग के मामले में पहला प्रयास था। इसी थीम पर विभागों में भी सर्जरी हो सकती है, लेकिन इसके लिए किसी कंपनी या दिल्ली के अस्पतालों से किराए पर रोबोट लाना होगा।