शक्ति की उपासना के महापर्व नवरात्रि का शुभारंभ आज से हो रहा है। नौ दिनों तक भक्त मां के विविध स्वरूपों की आराधना करेंगे। इस अवसर पर हम आपको शहर के प्रमुख शक्तिपीठ मां जालपा मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां ढाई सौ वर्षों से भक्तों पर देवी की कृपा बरस रही है। मां जालपा के धाम लगभग 259 वर्ष पूर्व बारडोली क्षेत्र में घनघोर जंगल हुआ करता था, जहां बांसों की अधिकता थी। मंदिर के पुजारी लालजी पंडा, जो इस मंदिर की पांचवी पीढ़ी के पुजारी हैं, बताते हैं कि उनके पूर्वजों को माता ने स्वप्न दिया था। इसके बाद ही बांस के जंगल में माता प्रकट हुईं और तब से उनकी महिमा पूरे जिले ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर में विख्यात हो गई। सन 1766 में रीवा जिले के निवासी बिहारीलाल पंडा को मां ने स्वप्न में बुलावा दिया। वे कटनी आकर बांस के जंगल में माता की नित्य सेवा करने लगे। माता की कृपा से धीरे-धीरे शहर का कायाकल्प हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
मां जालपा मंदिर में अखंड ज्योत, जवारे और कलश विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। यहां विराजी मां जालपा की प्रतिमा सिल के आकार की है। बिहारीलाल पंडा ने पूर्ण विधि-विधान से मां की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। बाद में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान मां काली और शारदा की प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं। मंदिर परिसर में हनुमानजी और भैरव बाबा भी विराजमान हैं। साल के 365 दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, विशेषकर नवरात्रि में यहां का दृश्य अलौकिक होता है।
वर्ष 2012 में मंदिर का विशेष जीर्णोद्धार कराया गया। मंदिर के गुंबद, प्रवेश द्वार और परिसर को भव्य रूप दिया गया। इस दौरान पट्टाभिरामाचार्य महाराज के सानिध्य में 64 योगनियों की स्थापना की गई। गर्भगृह में मां जालपा, माता कालका, मां शारदा और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के दर्शन श्रद्धालुओं के जीवन के समस्त कष्ट हर लेते हैं। पुजारी बिहारीलाल पंडा की पांचवीं पीढ़ी के लालजी पंडा और उनके पुत्र आज भी मां की सेवा में समर्पित हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धालु मां जालपा के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
आज से जगदम्बा के गूंजेंगे दरबार
शक्ति की अराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है। रविवार से मातारानी के भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हुए मां के प्रति आस्था प्रकट करेंगे। नौ दिनों तक शहर से लेकर गांव-गांव तक मां जगतजननी की आराधना घरों सहित देवी-देवालयों में धूमधाम से होगी। मंदिरों में नौ दिनों तक कलश स्थापना, जवारे सहित धार्मिक आयोजनों का सिलसिला चलेगा। मंदिर के पुजारी व पंडा सहित समितियों के द्वारा तैयारी की गई है। शहर के प्रमुख शक्तिपीठ जालपा मढिय़ा में पंडा के नेतृत्व में पूजन किया जाएगा। इसी तरह नई बस्ती स्थित शीतला माता मंदिर, शहीद द्वार स्थित काली मंदिर, जगदम्बा मंदिर गाटरघाट, भूमि प्रकट शारदा मंदिर बरगवां, विश्राम बाबा मंदिर, खेर माता मंदिर खिरहनी, संतोष माता मंदिर झंडाबाजार सहित अन्य मंदिरों में में भी नवरात्र पर विशेष पूजा होगी। ग्रामीण इलाकों में भी पर्व की धूम रहेगा।
जालपा मढिय़ा के लालजी पंडा ने बताया कि यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाएगा। रविवार को प्रतिपदा से लेकर नवमीं तिथि तक विशेष अराधना होगी। मढिय़ा में खुशहाली के प्रतीक जवारे कलश बोए जाएंगे। नौ दिनों तक मां जालपा, मां कालका, मां शारदा का दिव्य श्रंगार होगा। प्रतिदिन रात्रि में महाआरती की जाएगी। रात में देवी भगतों का भी गायन होगा। मातारानी सहित चौसठ योगनियों का पूजन होगा। अष्टमी में विशेष श्रंगार व नवमीं तिथि को जवारे विसर्जन होंगे।
ग्रामीण इलाकों में रहेगी धूम
शारदेय नवरात्र पर्व की ग्रामीण इलाकों में भी खासी धूम रहेगी। विजयराघवगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठ शारदा मंदिर, निगहरा में कंकाली धाम, बरही क्षेत्र में कोनिया काली मंदिर, बसाड़ी क्षेत्र में पुकारमाता मंदिर, बड़वारा, ढीमरखेड़ा-उमरियापान क्षेत्र में विरासन मंदिर, बड़ी देवी मंदिर सहित रीठी व जिलेभर के गांव-गांव में पर्व की धूम रहेगी। देवी-देवालयों में कलाशों की स्थापना होगी, पूजन के साथ भगतों का आयोजन होगा। जवारे कलश बोए जाएंगे।
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