CG News: यह अब लीगेसी श्रेणी में शामिल हो चुका
केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाकर बस्तर से लेकर कवर्धा तक नक्लसियों को पस्त किया गया। इसके चलते ही कबीरधाम के घने जंगलों में अब
नक्सलियों की संख्या बेहद कम हो चुकी है। लगातार मुठभेड़ और आत्मसमर्पण के चलते इनकी संख्या में कमी आने लगी। यही कारण है कि कबीरधाम जिले को नक्सल प्रभावित जिले से बाहर लाकर लीगेसी श्रेणी में डाल दिया गया।
यह बेहतर है क्योंकि नक्सल प्रभावित गांवों में हमेशा ही
नक्सलियों का डर बना रहता था। मुख्य रुप से रात में जब नक्सली किसी के भी घर राशन के लिए पहुंच जाते थे। यह डर अब धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। हालांकि नक्सल प्रभावित जिला नहीं होने से पुलिसकर्मियों भत्ते में कटौती होगी। नक्सल प्रभावित थानों में तैनात पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी हैं उन्हें नक्सल भत्ता मिलता रहा है। पदस्थापना अनुसार पुलिसकर्मियों को 3 से 5 हजार रुपए तक मासिक भत्ता मिलता है। इसमें अब कटौती होगी।
पांच थाने नक्सल प्रभातिव
नक्सल प्रभावित जिला से बाहर होने के बाद जो
पुलिसकर्मी नक्सल थानों में तैनात हैं उन्हें नक्सल भत्ता नहीं मिलेगा। इसे लेकर अभी दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही दिशा निर्देश मिलेंगे आदेश आएगा, उसके अनुरुप कार्य किया जाएगा। जिले के शहरी क्षेत्रों में नक्सल भत्ता नहीं मिलता है।-पंकज पटेल, एएसपी नक्सल ऑपरेशन, कबीरधाम
जिले में वैसे तो 15 थाने हैं लेकिन इससें झलमला, चिल्फी, रेंगाखार, तरेगांव जंगल और सिंघनपुरी प्रमुख रुप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं। यहां पर पुलिसकर्मी भी अधिक संख्या में तैनात किए गए हैं। जब भी नक्सली सर्चिंग की जाती है तो प्रमुख रुप से अतिरिक्त बल के साथ इन थानों के ही जवान शामिल होते।
कबीरधाम जिले में नक्सलियों की घूसपैठ 15 वर्ष पूर्व से शुरु हुई। नक्सली राजनांदगांव से कान्हा की आने जाने के लिए कबीरधाम जिले का उपयोग करते रहे। लेकिन
नक्सलियों ने यहां पर अपने संगठन का विस्तार करना शुरु कर दिया। क्याेंकि यहां के घने जंगल और छोटी-छोटी पहाड़ियां छुपने के लिए बेहतर है। जब यहां पर नक्सलियों की संख्या बढ़ने लगी तो वर्ष 2015 में इसे नक्सल जिला घोषित किया गया।
यह काम आया
जिले में नक्सलियों के आवागमन के रास्तों को बंद करने और उनकी संख्या घटाने के लिए ही पुलिस ने महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस कैंप खोले। वहां पर एसटीएफ और 17वीं बटालियन के जवानाें को तैनात किया गया। धीरे-धीरे कबीरधाम पुलिस द्वारा जिले में कुल 9 पुलिस कैंप खोले गए। वहीं दो बेस कैम्प झलमला और सिंघनपुरी को थाने में बदला गया। इसका असर भी हुआ।