अंतिम प्रस्तुति छाऊ नृत्य की
इसके बाद, दिल्ली की युवा नृत्यांगना सुश्री श्रेयसी गोपीनाथ ने “द व्हील ऑफ चॉइसेस” के माध्यम से मानव स्वभाव की जटिलताओं को दर्शाया। उन्होंने महाभारत के कर्ण के जीवन संघर्षों, नैतिक दुविधाओं और भाग्य के प्रभाव को बखूबी चित्रित किया। अंतिम प्रस्तुति छाऊ नृत्य की थी, जिसे पद्मश्री शशधर आचार्य एवं उनकी टीम ने प्रस्तुत किया। “महानायक गरुड़” नृत्यनाटिका में गरुड़ के संघर्षों और उसकी विजय को नृत्य के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।कलावार्ता में छतरपुर के शिल्प और शैल चित्रों पर चर्चा
51वें खजुराहो नृत्य समारोह में कलावार्ता का आयोजन हुआ, जिसमें छतरपुर जिले के शैल चित्रों पर चर्चा की गई। डॉ. सुधीर कुमार छारी ने बताया कि छतरपुर जिले में 3000 से अधिक शैल चित्र पाए गए हैं, जो 45000 से 20000 ईस्वी पूर्व के हैं। इन चित्रों की तकनीक, रंग और विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने छतरपुर के शिल्प सौंदर्य को भी उजागर किया।बाल नृत्य महोत्सव
नृत्य समारोह की दूसरी शाम बालमन की साकार कल्पनाओं से रोशन हुई। खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन मंच पर भरतनाट्यम और कथक की नृत्य प्रस्तुतियों का शानदार आयोजन हुआ। पहली प्रस्तुति कुमारी इदीका देवेन्द्र, भोपाल की भरतनाट्यम नृत्य कला की थी। उनकी प्रारंभिक प्रस्तुति नटेश कौतुवम् थी, जो राग नट्टै और ताल आदि में निबद्ध थी। इसमें नटराज के पूजन के साथ देवताओं और असुरों द्वारा नृत्य के स्वामी नटराज को नमन किया गया। इसके बाद, उन्होंने शब्दम की प्रस्तुति दी, जो पारंपरिक भरतनाट्यम रचना थी और रागमालिका तथा ताल मिश्र चापू में निबद्ध थी। इसमें श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया। आखिरी प्रस्तुति तिल्लाना थी, जो नृत्य के आत्मसमर्पण और साधना की परिकाष्ठा को दर्शाती है।