script51वां खजुराहो नृत्य समारोह का दूसरा दिन: नृत्य के रूप में साकार हुआ संस्कृति का सौंदर्य | Patrika News
खजुराहो

51वां खजुराहो नृत्य समारोह का दूसरा दिन: नृत्य के रूप में साकार हुआ संस्कृति का सौंदर्य

कंदरिया महादेव मंदिर के आशीर्वाद से मंच पर ईश्वर की वंदना, नृत्य कथाओं और परंपराओं का जगमगाता संसार देखा गया। समारोह के दूसरे दिन की शुरुआत मणिपुरी नृत्यांगना और पद्मश्री सुश्री दर्शना झावेरी की प्रस्तुति से हुई।

खजुराहोFeb 22, 2025 / 11:01 am

Dharmendra Singh

खजुराहो नृत्य समारोह

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित 51वां खजुराहो नृत्य समारोह का दूसरा दिन संस्कृति के रंगों से भरा रहा। इस दिन कंदरिया महादेव मंदिर के आशीर्वाद से मंच पर ईश्वर की वंदना, नृत्य कथाओं और परंपराओं का जगमगाता संसार देखा गया। समारोह के दूसरे दिन की शुरुआत मणिपुरी नृत्यांगना और पद्मश्री सुश्री दर्शना झावेरी की प्रस्तुति से हुई। उन्होंने नृत्य के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण और राधा की वंदना की। इसके बाद, बसंत रास का उत्सव, होलिका क्रीडम और जयदेव रचित गीत “गोविंदम” पर आधारित मनभजन की प्रस्तुति की। उन्होंने इस नृत्य में कृष्ण और राधा की मधुर नोंक-झोंक को सजीव किया।

अंतिम प्रस्तुति छाऊ नृत्य की

इसके बाद, दिल्ली की युवा नृत्यांगना सुश्री श्रेयसी गोपीनाथ ने “द व्हील ऑफ चॉइसेस” के माध्यम से मानव स्वभाव की जटिलताओं को दर्शाया। उन्होंने महाभारत के कर्ण के जीवन संघर्षों, नैतिक दुविधाओं और भाग्य के प्रभाव को बखूबी चित्रित किया। अंतिम प्रस्तुति छाऊ नृत्य की थी, जिसे पद्मश्री शशधर आचार्य एवं उनकी टीम ने प्रस्तुत किया। “महानायक गरुड़” नृत्यनाटिका में गरुड़ के संघर्षों और उसकी विजय को नृत्य के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।

कलावार्ता में छतरपुर के शिल्प और शैल चित्रों पर चर्चा

51वें खजुराहो नृत्य समारोह में कलावार्ता का आयोजन हुआ, जिसमें छतरपुर जिले के शैल चित्रों पर चर्चा की गई। डॉ. सुधीर कुमार छारी ने बताया कि छतरपुर जिले में 3000 से अधिक शैल चित्र पाए गए हैं, जो 45000 से 20000 ईस्वी पूर्व के हैं। इन चित्रों की तकनीक, रंग और विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने छतरपुर के शिल्प सौंदर्य को भी उजागर किया।

बाल नृत्य महोत्सव


नृत्य समारोह की दूसरी शाम बालमन की साकार कल्पनाओं से रोशन हुई। खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन मंच पर भरतनाट्यम और कथक की नृत्य प्रस्तुतियों का शानदार आयोजन हुआ। पहली प्रस्तुति कुमारी इदीका देवेन्द्र, भोपाल की भरतनाट्यम नृत्य कला की थी। उनकी प्रारंभिक प्रस्तुति नटेश कौतुवम् थी, जो राग नट्टै और ताल आदि में निबद्ध थी। इसमें नटराज के पूजन के साथ देवताओं और असुरों द्वारा नृत्य के स्वामी नटराज को नमन किया गया। इसके बाद, उन्होंने शब्दम की प्रस्तुति दी, जो पारंपरिक भरतनाट्यम रचना थी और रागमालिका तथा ताल मिश्र चापू में निबद्ध थी। इसमें श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया। आखिरी प्रस्तुति तिल्लाना थी, जो नृत्य के आत्मसमर्पण और साधना की परिकाष्ठा को दर्शाती है।
इसके बाद, ग्वालियर की कुमारी सौम्य जैन ने कथक की प्रस्तुति दी। उन्होंने पहले शिव रुद्राकष्टकम में भगवान शिव को समर्पित नृत्य किया, फिर शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया जो तीनताल में निबद्ध था। तीसरी प्रस्तुति में उन्होंने राधा कृष्ण के प्रेम को ठुमरी के रूप में नृत्य में प्रस्तुत किया। अंतिम प्रस्तुति जयपुर घराने का तिरवत थी। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कला समीक्षक डॉ. ताप्ती चौधरी ने बाल नृत्य कलाकारों का हौसला बढ़ाया।

प्रणाम में डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की सुदीर्घ कला यात्रा

वरिष्ठ नृत्यांगना और पद्मविभूषण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की कला यात्रा पर आधारित प्रणाम प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। इस प्रदर्शनी में डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम की नृत्य यात्रा के छायाचित्रों के माध्यम से उनकी सुदीर्घ साधना, अथक परिश्रम और लगन को प्रदर्शित किया गया। साथ ही, डॉ. सुब्रह्मण्यम द्वारा डिज़ाइन की गई नृत्य पोशाक, उनकी शोध आधारित पुस्तकें और अन्य कलाकृतियां भी प्रदर्शित की गईं। यह प्रदर्शनी नृत्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के इच्छुक कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Hindi News / Khajuraho / 51वां खजुराहो नृत्य समारोह का दूसरा दिन: नृत्य के रूप में साकार हुआ संस्कृति का सौंदर्य

ट्रेंडिंग वीडियो