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Nsc Medical collage- न ब्लड बैंक का लायसेंस, न लैब में जांच पूरी, कैसे चल रहा मेडिकल कॉलेज

-एक सप्ताह पूर्व एनएमसी ने की थी मेडिकल कॉलेज में जांच, पाई कई कमियां

खंडवाMay 14, 2025 / 12:24 pm

मनीष अरोड़ा

medical collage

खंडवा, नंदकुमारसिंह चौहान शासकीय मेडिकल कॉलेज खंडवा।

-नेशनल मेडिकल कमिशन के शोकॉज नोटिस से एनएससी मेडिकल कॉलेज में हडक़ंप
-हर बिंदु पर एक करोड़ के जुर्माने का प्रावधान, प्रबंधन जुटा जवाब देने में

श्री नंदकुमारसिंह चौहान शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) के नोटिस से हडक़ंप मचा हुआ है। पिछले दिनों हुई एनएमसी की जांच में कई कमियां पाई गई है। जिसके बाद एनएमसी ने बिंदुवार जानकारी नोटिस के माध्यम से मांगी है। खंडवा मेंडिकल कॉलेज में न तो ब्लड बैंक का लायसेंस है, न लैब की जांच पूरी तरह से हो पा रही है। नोटिस में 7 बिंदुओं पर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिलने पर एनएमसी हर बिंदु पर एक करोड़ का जुर्माना प्रावधान कर सकती है।
एनएमसी ने पिछले सप्ताह प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों की ऑन लाइन रिपोट्र्स, भेजे गए दस्तावेजों के आधार पर जांच की है। जिसके बाद इन सभी मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किए गए है। खंडवा मेडिकल कॉलेज में भी कई कमियां पाई गई है। इसमें प्रमुख रूप से मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक का लायसेंस रीनिवल नहीं होना, मेडिकल कॉलेज में एमआरआइ नहीं किए जाने, पैथालॉजी लैब द्वारा की जाने वाली जांचों की सैंपल संख्या में कमी होना, कैडेवर स्टाफ की कमी होना, स्कील स्टाफ नहीं होना और एग्जाम के दौरान बाहर से आए एग्जामर्स को लेकर भरे जाने वाले फार्म-सी को उपलब्ध नहीं कराना जैसी कमियों को लेकर एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज डीन को नोटिस जारी किया है।
एक साल से बन रही ब्लड बैंक
मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए सात साल हो चुके है। यहां से दो बैच भी पासआउट हो गए है। इन सात सालों में भी मेडिकल कॉलेज अपनी ब्लड बैंक तैयार नहीं कर पाया है। जिला अस्पताल की ब्लड बैंक को ही मर्ज कर कागजों में मेडिकल कॉलेज की दर्शाया जा रहा है। पिछले एक साल से मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक का निर्माण बी-ब्लॉक के पीडियाट्रिक वार्ड के पास बन रही है। अब तक इसका काम भी पूरा नहीं हो पाया है।
एमआरआइ तो दूर सोनोग्राफी तक नहीं हो रही
एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज खंडवा को एमआरआइ नहीं शुरू किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया। मेडिकल कॉलेज में हालात ये है कि यहां कोरोना कॉल से रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते सोनोग्राफी भी नहीं हो पा रही है। पिछले तीन साल से सर्जरी व जनरल मरीजों को सोनोग्राफी के लिए बाहर भेजा जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी के लिए मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की गायनी डॉक्टर्स को ही प्रशिक्षण दिलवाकर उनसे सोनोग्राफी कराई जा रही है। वहीं, शासन की योजना के अनुसार माह में दो बार निजी सेंटर्स भी जांच हो रही है।
रेफरल सेंटर बन गया मेडिकल कॉलेज
मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में आसपास के चार जिलों के मरीज पहुंच रहे है। अति गंभीर मरीजों के लिए यहां विशेषज्ञों की शुरू से ही कमी रही है। दुर्घटना के गंभीर मरीजों व अन्य बीमारियों को लेकर अकसर मरीजों को सीधे इंदौर रेफर किया जा रहा है। इसे लेकर सांसद, विधायक सहित कई जनप्रतिनिधि अपना विरोध भी जता चुके है। कलेक्टर ने भी व्यवस्थाएं सुधारने की कोशिश की, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के ढर्रे को वह भी बदल नहीं पाए। आज भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मरीज रेफर हो रहे है।
हमने भेज दिए थे दस्तावेज
ब्लड बैंक का लायसेंस दिसंबर में ही रीनिवल कराया गया है। इसके दस्तावेज भी भेजे थे, लेकिन एनएमसी ने देरी से रिव्यू किया। फार्म सी भी हम पहले ही भेज चुके है। दूसरी कमियों को लेकर प्रबंधन एनएमसी को जवाब दे रहा है। कमियों को दूर किया जाएगा।
डॉ. अनंत पंवार, प्रभारी डीन

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