मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए सात साल हो चुके है। यहां से दो बैच भी पासआउट हो गए है। इन सात सालों में भी मेडिकल कॉलेज अपनी ब्लड बैंक तैयार नहीं कर पाया है। जिला अस्पताल की ब्लड बैंक को ही मर्ज कर कागजों में मेडिकल कॉलेज की दर्शाया जा रहा है। पिछले एक साल से मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक का निर्माण बी-ब्लॉक के पीडियाट्रिक वार्ड के पास बन रही है। अब तक इसका काम भी पूरा नहीं हो पाया है।
एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज खंडवा को एमआरआइ नहीं शुरू किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया। मेडिकल कॉलेज में हालात ये है कि यहां कोरोना कॉल से रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते सोनोग्राफी भी नहीं हो पा रही है। पिछले तीन साल से सर्जरी व जनरल मरीजों को सोनोग्राफी के लिए बाहर भेजा जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी के लिए मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की गायनी डॉक्टर्स को ही प्रशिक्षण दिलवाकर उनसे सोनोग्राफी कराई जा रही है। वहीं, शासन की योजना के अनुसार माह में दो बार निजी सेंटर्स भी जांच हो रही है।
मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में आसपास के चार जिलों के मरीज पहुंच रहे है। अति गंभीर मरीजों के लिए यहां विशेषज्ञों की शुरू से ही कमी रही है। दुर्घटना के गंभीर मरीजों व अन्य बीमारियों को लेकर अकसर मरीजों को सीधे इंदौर रेफर किया जा रहा है। इसे लेकर सांसद, विधायक सहित कई जनप्रतिनिधि अपना विरोध भी जता चुके है। कलेक्टर ने भी व्यवस्थाएं सुधारने की कोशिश की, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के ढर्रे को वह भी बदल नहीं पाए। आज भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मरीज रेफर हो रहे है।
ब्लड बैंक का लायसेंस दिसंबर में ही रीनिवल कराया गया है। इसके दस्तावेज भी भेजे थे, लेकिन एनएमसी ने देरी से रिव्यू किया। फार्म सी भी हम पहले ही भेज चुके है। दूसरी कमियों को लेकर प्रबंधन एनएमसी को जवाब दे रहा है। कमियों को दूर किया जाएगा।
डॉ. अनंत पंवार, प्रभारी डीन