Rajasthan: जनता के ‘फ्री गेंहू’ का डीलरों ने किया तगड़ा गबन, एक्शन मोड में आया विभाग
Rajasthan News: विभागीय दरों के अनुसार गायब गेहूं की अनुमानित कीमत सुरेश के मामले में लगभग 4,39,261 रुपए, हेमराज धाकड़ के मामले में 1,91,220 रुपए और ताहिर अली के मामले में 1,61,440 रुपए आंकी गई।
राजस्थान के दुकानदार की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पत्रिका)
Embezzled Of Free Wheat: सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनियमितताएं पाए जाने पर रामगंजमंडी क्षेत्र के तीन उचित मूल्य दुकानदारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की गई है। जिला रसद अधिकारी कोटा द्वितीय कुशाल बिलाला ने बताया कि इन डीलरों का व्यवहार सीधे तौर पर सरकारी गेहूं के गबन की श्रेणी में आने के कारण इनके लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं तथा 1000 रुपए की जमानत राशि जब्त कर ली गई है।
उन्होंने बताया कि संबंधित डीलरों के विरुद्ध आपराधिक अभियोजन की अनुशंसा के साथ गायब स्टॉक की वसूली के निर्देश भी जारी किए गए हैं। यह कार्रवाई प्रवर्तन अधिकारी अदिति जगरवाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसमें ग्राम सेवा सहकारी समिति अलोद, हेमराज धाकड़ (कोटड़ी) और ताहिर अली (चेचट) के विरुद्ध गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई थी।
जांच एवं सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि इन डीलरों की ओर से बड़ी मात्रा में खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत वितरित किए जाने वाले गेहूं का गबन किया गया। निलंबन के बाद इन्हें बचे हुए स्टॉक को अस्थायी रूप से नियुक्त अन्य उचित मूल्य दुकानदार को सौंपने के निर्देश दिए गए थे, परंतु स्टॉक सुपुर्द नहीं किया गया।
ग्राम सेवा सहकारी समिति अलोद के व्यवस्थापक सुरेश के मामले में 137.83 क्विंटल, हेमराज धाकड़ के मामले में 60 क्विंटल और ताहिर अली के मामले में 50.65 क्विंटल गेहूं का अभाव पाया गया। कारण बताओ नोटिस और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान डीलरों ने गायब स्टॉक के संबंध में संतोषजनक जवाब नहीं दिया तथा स्टॉक पूर्ति के लिए समय की मांग की।
विभागीय दरों के अनुसार गायब गेहूं की अनुमानित कीमत सुरेश के मामले में लगभग 4,39,261 रुपए, हेमराज धाकड़ के मामले में 1,91,220 रुपए और ताहिर अली के मामले में 1,61,440 रुपए आंकी गई। यह आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 तथा राजस्थान खाद्यान्न एवं आवश्यक पदार्थ (वितरण एवं विनियमन) आदेश 1976 का स्पष्ट उल्लंघन है।
जिला रसद अधिकारी ने बताया कि संबंधित दुकानों के समय पर बंद रहने की लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। निरीक्षण में पाया गया कि दुकानों के बंद रहने का कारण भी नोटिस बोर्ड पर अंकित नहीं किया जाता था। उपभोक्ताओं ने बताया कि राशन वितरण प्रतिमाह 20 तारीख के बाद ही आरंभ किया जाता था। निरीक्षण के दौरान डीलरों की अनुपस्थिति और संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाना भी अनियमितता का हिस्सा रहा।
मई 2025 की ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद इन डीलरों द्वारा या तो बहुत कम या शून्य वितरण किया गया, जिससे खाद्य सुरक्षा लाभार्थी वंचित रह गए। यह भी पाया गया कि मार्च व अप्रेल 2025 में भी वितरण देर से शुरू हुआ, जो संकेत देता है कि डीलरों की ओर से स्टॉक का निजी हित में दुरुपयोग किया गया अथवा गायब स्टॉक की पूर्ति के लिए अगले महीने की आपूर्ति का इंतजार किया गया। इसके अतिरिक्त, डीलरों ने पॉस मशीन को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए मात्र 1-2 राशन कार्डों पर लेन-देन दिखाया तथा दुकान का खुलने-बंद होने का समय, स्टॉक की जानकारी भी प्रदर्शित नहीं की।