कर्मयोगी सेवा संस्थान के संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि निधन की खबर सुन अलका दुलारी जैन कर्मयोगी व नैना देवी तथा किन्नर समाज की कोटा प्रमुख तारा देवी , रीना, काजल एवं अन्य स्थानों के किन्नर प्रमुख गुमानपुरा बंजारा कॉलोनी स्थित उनके निवास पर पहुंचे। सामाजिक कार्यकर्ता कर्मयोगी ने बताया कि नैना देवी की मां लंबे समय से बीमार चल रही थी।
गहरा था लगाव सामाजिक कार्यकर्ता राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि नैना देवी को अपनी मां से गहरा लगाव था। मां पिछले 4 वर्षों से बीमार चल रही थी। सेवा में उन्होंने कोई कमी नहीं रखी। समाज के नियमों का पालन करने के साथ-साथ परिवार में भी अपने मां को बेटा नहीं होने की कमी महसूस नहीं होने दी। परिवार से दूर होकर भी परिवार के उत्तरदायित्व का पालन करके मंगलामुखी किन्नर नैना देवी ने एक मिसाल कायम की है।
निभाती है सामाजिक सरोकार नैना देवी किन्नर के रूप में सामाजिक सरोकारों को निभाते रहेंगे। उनका कहना है कि सभी धर्मों व जातियों के घरों में उनका आना जाना है। कईं तीर्थ स्थलों की यात्रा के साथ अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अमृतसर गुरुद्वारा तक भी यात्रा कर चुकी हैं। जरूरतमंद परिवार की बेटियों के विवाह, शिक्षा में सहयोग,वाटर कूलर भी डोनेट समेत अन्य सामाजिक सरोकार निभाती है।
निकाली थी कांवड़ यात्रा हाल ही उन्होंने सभी किन्नर समाज के साथ मिलकर देश प्रदेश में पहली बार कोटा में कांवड़ यात्रा का भी आयोजन किया। जिसमें काफी संख्या में किन्नर के साथ अन्य श्रद्धालु भी शामिल हुए थे। यह यात्रा टिपटा से शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए गोदावरी धाम पहुंची थी, जहां भोलेनाथ का अभिषेक किया था।