Obesity in Women: गांव की महिलाओं में बढ़ता मोटापा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल है सबसे बड़ा कारण, ऐसे करें बचाव
Obesity in women: महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। एक और बड़ी वजह यह है कि बच्चे के जन्म के बाद वजन कम करना महिलाओं के लिए मुश्किल हो जाता है, खासकर दूसरी या तीसरी गर्भावस्था के बाद। जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
Obesity in women: ग्रामीण भारत में महिलाएं अब मोटापे की समस्या से जूझ रही हैं, जैसे कि शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलती है। ग्रामीण इलाकों में बदलते जीवनशैली और बढ़ती गतिहीनता के कारण महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। एक और बड़ी वजह यह है कि बच्चे के जन्म के बाद वजन कम करना महिलाओं के लिए मुश्किल हो जाता है, खासकर दूसरी या तीसरी गर्भावस्था के बाद। इससे लेख में इससे जुड़ी पूरी जानकारी दी गई है।
स्लीप साइकिल में असंतुलन और हार्मोनल बदलाव भी मोटापे की समस्या
स्लीप साइकिल में व्यवधान, बार-बार गर्भवती होना और अन्य कारणों से मोटापे की समस्या बढ़ रही है। महिलाओं का वजन लगातार बढ़ता रहता है, और अगली गर्भावस्था के दौरान भी यही स्थिति होती है। परिणाम स्वरूप, पेट के आसपास की चर्बी स्थायी रूप से जमा हो जाती है, जिससे उस वजन को घटाना बेहद कठिन हो जाता है। इसके अतिरिक्त, स्लीप साइकिल में असंतुलन और हार्मोनल बदलाव भी मोटापे की समस्या को बढ़ाने में योगदान करते हैं।
अनहेल्दी लाइफस्टाइल के प्रभाव से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहा मोटापा
प्रोसेस्ड फूड कंपनियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाई है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, जिसमें प्रत्येक भोजन में 300 कैलोरी से अधिक हो सकती है, के कारण और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के प्रभाव से ग्रामीण क्षेत्रों में मोटापा बढ़ रहा है।
बदलते आहार, कैलोरी सेवन और आनुवंशिक प्रभावों के कारण
हालिया अध्ययन के अनुसार, 2050 तक भारत में 440 मिलियन से अधिक लोग मोटे और अधिक वजन वाले होंगे, जिनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक होगी (231 मिलियन महिलाएं और 218 मिलियन पुरुष)। इस स्थिति के साथ, भारत मोटापे से ग्रस्त देशों में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
मोटापे से जूझने वाली महिलाओं की सबसे सामान्य आयु
मोटापे से जूझने वाली महिलाओं की सबसे सामान्य आयु सीमा 30-50 वर्ष है मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, शारीरिक गतिविधि में कमी और काम से संबंधित थकान का खतरा अधिक होता है।
इसे भी पढ़ें- World Obesity Day 2025: ये “सेहतमंद” आदतें बढ़ा रही हैं मोटापे का खतरा
एनएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, 1996-99 में 25 किलोग्राम/एम2 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का प्रतिशत 10.6% था, जो 2019-21 में बढ़कर 24% हो गया। नवीनतम एनएफएचएस-5 में यह दिखाया गया कि 2021 में ग्रामीण और शहरी महिलाओं में मोटापे की दर क्रमशः 19.7% और 33.2% थी, जो 1998 के एनएफएचएस-2 में क्रमशः 5.9% और 23.5% थी।
भारत में महिलाओं में मोटापे की दर में वृद्धि हो रही है
सर्वेक्षण वर्ष
शहरी (%)
ग्रामीण (%)
एनएफएचएस-2 (1998-99)
23.5%
5.9%
एनएफएचएस-3 (2005-06)
15.1%
0.6%
एनएफएचएस-4 (2015-16)
19.7%
19.7%
एनएफएचएस-5 (2019-21)
33.2%
19.7%
बचाव के उपाय (Preventive measures)
महिलाओं को अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। प्रोसेस्ड और फास्ट फूड से बचना चाहिए।
दिन में कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। योग, वॉकिंग, दौड़ना या हल्की एक्सरसाइज मोटापे को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मेटाबोलिज्म बेहतर होता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
तनाव को नियंत्रित करने के लिए ध्यान, योग, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करें। शक्कर और वसा से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें और ताजे, प्राकृतिक आहार को प्राथमिकता दें।