वानुअतु का नागरिकता नियम और कानून
वानुअतु का नागरिकता नियम एक निवेश-आधारित योजना है, जो निवेशकों को देश की नागरिकता प्रदान करता है। यह कार्यक्रम, जिसे कैपिटल इनवेस्टमेंट इमिग्रेशन प्लान (CIIP) कहा जाता है, इसके तहत आवेदकों को नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक गैर-वापसी योग्य दान या निवेश करना होता है। एकल आवेदकों के लिए इस कार्यक्रम के तहत न्यूनतम लगभग 1.3 करोड़ रुपये होती है, जो इसे नागरिकता प्राप्त करने के सबसे किफायती विकल्पों में से एक है।
ललित मोदी और नीरव मोदी के मामले में वानुअतु की जांच
ललित मोदी पर भारत में वित्तीय अनियमितताओं के कई आरोप हैं, उन्होंने वानुअतु से नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। वानुअतु सरकार ने उनकी पृष्ठभूमि की जांच की और इंटरपोल से संबंधित स्क्रीनिंग की प्रक्रिया भी पूरी की। हालांकि, पिछले 24 घंटों में यह जानकारी सामने आई कि इंटरपोल ने ललित मोदी के खिलाफ जारी किया गया चेतावनी नोटिस खारिज कर दिया था। यह नोटिस भारत सरकार ने भेजा था, लेकिन इंटरपोल ने यह फैसला लिया कि उनके पास पर्याप्त न्यायिक साक्ष्य नहीं हैं। इस स्थिति में वानुअतु सरकार ने कहा कि इस प्रकार के किसी भी अलर्ट के आधार पर ललित मोदी का नागरिकता आवेदन स्वतः ही खारिज कर दिया जाता है।
भारत में कानूनी कार्रवाई से बचना था मकसद
इसके अलावा, वानुअतु सरकार ने यह स्पष्ट किया कि लोग नागरिकता के लिए “प्रत्यर्पण से बचने” के लिए आवेदन न करें, बल्कि वैध कारणों से आवेदन करें। प्रधानमंत्री नापत ने यह भी कहा कि यह निष्कर्ष स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ललित मोदी का इरादा भारत में कानूनी कार्यवाही से बचने का था।
क्या है नीरव मोदी का मामला ?
नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 13,600 करोड़ रुपये का बैंकिंग घोटाला करने का आरोप है। उन्होंने सन 2017 में वानुअतु से नागरिकता प्राप्त करने का प्रयास किया था। नीरव मोदी ने वानुअतु सरकार के 18 अधिकृत एजेंटों में से एक को 195,000 डॉलर का भुगतान किया था, जो नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक आवेदन शुल्क था। हालांकि, वानुअतु की वित्तीय खुफिया इकाई ने नीरव मोदी के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले और इस वजह से उनका आवेदन खारिज कर दिया गया।
वानुअतु ने क्यों कड़ी की अपनी नागरिकता जांच?
वानुअतु ने अपने नागरिकता कार्यक्रम की जांच प्रक्रिया को पिछले कुछ वर्षों में काफी सख्त किया है। प्रधानमंत्री नापत ने कहा कि इस दौरान निवेश कार्यक्रम के तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदकों पर “त्रैतीयक-एजेंसी जांच” (Triple-Agency Check) और “इंटरपोल सत्यापन” जैसी कड़ी प्रक्रियाएं लागू की गई हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकता केवल उन लोगों को दी जाएख, जिनका परिचय और उद्देश्य साफ है, न कि उन अपराधियों को जो धन शोधन या अपने गृह देशों में कानूनी कार्यवाही से बचने की कोशिश कर रहे हों। ललित मोदी पर यह नियम ही भारी पड़ा।
यूरोपीय संघ का वानुअतु पर प्रतिबंध
इस कड़ी जांच के कारण, वानुअतु को यूरोपीय संघ को एक और झटका लगा। पिछले साल, यूरोपीय संघ ने वानुअतु के साथ अपनी वीज़ा-मुक्त यात्रा समझौते को रद्द कर दिया था। यूरोपीय संघ ने यह कदम उठाया, क्योंकि वानुअतु की नागरिकता योजना ने सुरक्षा और प्रवासन जोखिम पैदा किए थे। इससे पहले 2022 में, यूरोपीय संघ ने यह समझौता निलंबित कर दिया था, और आखिर इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया था।
वानुअतु का नागरिकता कानून
बहरहाल वानुअतु का नागरिकता कानून अब और भी कड़ा हो गया है, खासकर उन लोगों के खिलाफ, जो इससे फायदा उठा कर अपराधी गतिविधियों से बचने की कोशिश करते हैं। ललित मोदी और नीरव मोदी जैसे व्यक्तियों के मामलों ने इस प्रक्रिया में और भी पारदर्शिता और सख्ती की आवश्यकता को उजागर किया है।