पोस्टर में क्या लिखा गया
पोस्टर में लिखा गया–“दलितों से लाभ लेने वाले, ब्राह्मणों के नाम पर वोट लेने वाले, पिछड़ों को सिर्फ वोट बैंक समझने वाले, गुंडे और बदमाशों की फौज के लीडर, माफियाओं का हर सुख-दुख में साथ देने वाले, उत्तर प्रदेश को आपराधिक प्रदेश में तब्दील करने वाले नेता श्री अखिलेश यादव जी को जन्म दिवस की ढेरों शुभकामनाएं।”
इतना ही नहीं, पोस्टर में यह भी लिखा गया: “प्रभु श्री राम से कामना है कि प्रदेश की रक्षा और महिलाओं की सुरक्षा के लिए आपकी कभी सत्ता वापसी ना हो।”
सोशल मीडिया पर वायरल
यह पोस्टर सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया। जहां भाजपा समर्थकों ने इसे ‘राजनीतिक व्यंग्य’ और ‘प्रस्तावित सच्चाई’ बताया, वहीं समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसे अभद्रता और व्यक्तिगत हमला करार दिया। S.P. समर्थकों ने कहा कि यह न केवल राजनीतिक मर्यादा का उल्लंघन है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान भी है।
सपा कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजीव राय ने कहा,“जन्मदिन के मौके पर इस तरह की घृणित राजनीति से भाजपा की बौखलाहट झलकती है। अखिलेश यादव आज देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं, और उन्हें इस तरह के हमले सिर्फ और सिर्फ उनकी बढ़ती स्वीकार्यता का परिणाम हैं।”
भाजपा युवा मोर्चा की सफाई
जब इस विवाद पर भाजपा युवा मोर्चा के नेताओं से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो कुछ नेताओं ने पोस्टर को व्यक्तिगत प्रयास बताया। प्रदेश महामंत्री अमित त्रिपाठी, जिनका नाम पोस्टर पर अंकित था, ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “हमने जो लिखा है वह सच्चाई है। हम सत्य को उजागर कर रहे हैं। जनता को यह जानने का हक है कि किस नेता ने प्रदेश को अपराधियों के हाथों में सौंपा था।”
पुलिस ने पोस्टर हटाए
चूंकि पोस्टर में इस्तेमाल की गई भाषा कुछ हद तक आपत्तिजनक मानी गई, लखनऊ नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने कुछ ही घंटों के भीतर सार्वजनिक स्थानों से सभी पोस्टर हटा दिए। पुलिस का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह की सामग्री लगाने के लिए अनुमति आवश्यक होती है। यदि अनुमति के बिना पोस्टर लगाए गए हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक टिप्पणी बनाम व्यक्तिगत हमला
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय राजनीति में यह नया चलन बन गया है, जहां राजनीतिक विरोध को व्यक्तिगत कटाक्षों और चरित्र हनन तक ले जाया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार विनीत दुबे ने कहा कि “राजनीतिक आलोचना और विरोध जरूरी हैं, लेकिन एक मर्यादा में। इस तरह के पोस्टर लोकतंत्र को कमजोर करते हैं और नफरत की राजनीति को बढ़ावा देते हैं।”
अखिलेश यादव ने किया इग्नोर
खुद अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनके जन्मदिन के मौके पर लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह में उन्होंने रक्तदान शिविर में हिस्सा लिया और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज को एकजुट करने का आह्वान किया।